लगता है सभी संघ आप्रशिक्षित शिक्षकों को बेवकूफ बनाने केलिए उनके मांगो की चर्चा करते हैं ।किंतु उसकी चिंता संघ के नेतृत्व को नहीं है।सभी संघों के नेता के वक्तव्य से स्पष्ट हो गया ।समान काम समान वेतन पर सरकार नहीं मानी किंतु अन्य मांगो का क्या हुआ ।
समान काम समान वेतन कोर्ट से मिल सकता है ।किंतु अन्य मांगो के लिए सभी संघ एक क्यों नहीं हुई ।आम शिक्षक इससे आहत हैं ।हो न हो आम शिक्षकों का विश्वास संघों से उठने लगे ।इसका कुछ बानगी देखने को भी मिला है।सभी संघों के नेतृत्व कर्ता को आत्मचिंतन की आवश्यकता है।
समान काम समान वेतन कोर्ट से मिल सकता है ।किंतु अन्य मांगो के लिए सभी संघ एक क्यों नहीं हुई ।आम शिक्षक इससे आहत हैं ।हो न हो आम शिक्षकों का विश्वास संघों से उठने लगे ।इसका कुछ बानगी देखने को भी मिला है।सभी संघों के नेतृत्व कर्ता को आत्मचिंतन की आवश्यकता है।