PATNA : बिहार के सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करने के लिए बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होना है। जिसमें वैसे भी शिक्षक भी शामिल हैं, जो पिछले 15-20 साल से नौकरी कर रहे हैं। सरकार के इस फैसले का पूरे राज्य में विरोध हो रहा है। जिसे कई विधायकों का समर्थन मिल रहा है। आज सरकार के इस फैसले के विरोध में लाखों शिक्षक पटना में प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे हैं। लेकिन इस प्रदर्शन से पहले ऐसे शिक्षकों को लेकर बड़ी खबर सामने आ गई है।
बताया जा रहा है 15-20 साल शिक्षक की नौकरी करनेवाले लोगों को परीक्षा में शामिल होने से राहत मिल सकती है। बिहार में स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनी नई शिक्षा नियमावली में सुधार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के सहयोगी दलों से विमर्श करेंगे। महागठबंधन विधानमंडल दल की सोमवार को हुई बैठक में उन्होंने यह घोषणा की। मानसून सत्र के बाद इस पर फैसला लिया जा सकता है।
दरअसल, महागठबंधन विधानमंडल दल बैठक में माकपा विधायक दल के नेता अजय कुमार ने यह मुद्दा उठाया था, जिसे कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम और भाकपा विधायक दल के नेता सूर्यकांत पासवान का साथ मिला।
सुधार करने की मांग
अजय कुमार ने नियमावली में सहयोगी दलों से विमर्श के बाद सुधार की मांग की। उन्होंने कहा कि वामदलों को बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इससे उन शिक्षकों को अलग रखा जाना चाहिए जो वर्षों से सेवारत हैं। 15-20 साल तक पढ़ा चुके शिक्षकों को परीक्षा में शामिल होने के लिए बाध्य करना उचित नहीं है।
माकपा के नेता अजय कुमार ने कहा कि सरकार बड़े नीतिगत निर्णय में सहयोगी दलों को विश्वास में ले। उनके साथ बैठक करे। व्यवहारिक परेशानी यह होती है कि सहयोगी दल सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों से अवगत नहीं रहते हैं और आम लोग जब उनसे उसके बारे में कुछ पूछते हैं तो जवाब देने में दुविधा होती है।
14 जुलाई के बाद होगी इस मुद्दे पर बैठक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधानसभा के मॉनसून सत्र के समापन के बाद इस विषय पर वे सहयोगी दलों से बातचीत करेंगे। सत्र 14 जुलाई तक चलेगा। उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति होने जा रही है। इससे राज्य को बड़ा लाभ मिलेगा।