एक कहावत है बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता है। यह पंक्तियां बनमा ईटहरी प्रखंड में उच्च विद्यालयों के छात्रों पर बिल्कुल सटीक बैठती है। दरअसल बनमा ईटहरी प्रखंड के सात पंचायतों में सात उच्च विद्यालय है। सभी उच्च
विद्यालयों में वर्षों से महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं। इसके चलते छात्रों को परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है। मजबूरी में अभिभावकों को महंगे दर पर अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना पड़ता है या फिर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने को विवश है। प्रखंड स्थित सभी उच्च विद्यालयों की स्थिति कमोवेश एक जैसी ही है। ऐसी स्थिति में 65 से 75 प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति का चाबुक चलाना विद्यालय के प्रधानाध्यापकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। चुकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे विद्यालयों को इंटर का दर्जा भी दिया जा चुका है। विदित हो कि प्रखंड में सात सरकारी उच्च विद्यालय क्रमश: उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय महारस, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय ईटहरी, उच्च माध्यमिक विद्यालय सरबेला, उच्च माध्यमिक विद्यालय रसलपुर, उच्च माध्यमिक विद्यालय तरहा, उच्च माध्यमिक विद्यालय परसबन्नी इनमें प्राय: विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। सभी उच्च विद्यालयो में उच्च कोटि के शिक्षक की कमी है जिस कारण स्थानीय बच्चे विद्यालय नहीं आते हैं। अब सवाल उठता है कि प्रखंड के सभी उच्च विद्यालयों को दर्जा मिलने के बाद भी उच्च कोटि की शिक्षक की बहाली नहीं की गई। जिससे गरीब बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। वहीं ग्रामीण महेंद्र सिंह, दिनेश सिंह, संतोष सिंह, सिंटू कुमार, सुभाष कुमार, बिनोद सिंह, दीपक कुमार, अजित कुमार आदि ने कहा कि सरकार जिस प्रकार प्राइमरी शिक्षा में सुधार कर रही है, वैसा प्रयास माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर नहीं देखा जा रहा है। सभी विद्यालयों में लगभग पांच हजार बच्चे पढ़ते हैं।कमी दूर की जाएगी
नई नियोजन में विद्यालय में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी। फिलहाल एक-दो कर के सभी विद्यालयों की कमी पूरी की जा रही है।
जयशंकर प्रसाद ठाकुर, डीईओ