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स्कूल हुए प्रोन्नत, पर शिक्षकों की तैनाती न होने से बच्चों के सपने अधूरे

गया । बिहार को शिक्षित राज्य के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार भले प्रयासरत हो और उसके सार्थक परिणाम सामने आए हों, लेकिन अफसरों की उदासीनता से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं।
गया जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र फतेहपुर में शिक्षा की बदरंग हालत साफ नजर आती है। यहां शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने चार उच्च विद्यालय को उत्क्रमित कर प्लस-टू में उन्नत कर दिया, पर शिक्षकों के घोर अभाव से इन स्कूलों में सिर्फ बच्चों का नामांकन हो रहा, शिक्षक न होने से बच्चे खुद से या प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में पढ़कर परीक्षा पास कर रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे सरकारी संसाधनों पर निर्भर होते हैं, पर प्रखंड में शिक्षकों की कमी बच्चों के सपने तोड़ रही है।

बता दें कि 2009 में प्रखंड के प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय व राम सहाय उच्च विद्यालय को और 2012 में अवध किशोर उच्च विद्यालय, काटी व ब्रज बिहारी उच्च विद्यालय, बदउवा में इंटर कला व साइस की पढ़ाई शुरू कराने के लिए सरकार ने आदेश पारित किया था। इसके लिए चारों स्कूलों के मूलभूत ढांचे में काफी बदलाव किया गया। नए-नए भवन बनाए गए, इससे बच्चे काफी उत्साहित थे कि अब उन्हें घर के पास ही इंटर की शिक्षा मिल जाएगी। इन विद्यालयों में बच्चों के नामांकन भी होने लगे, पर उनकी उम्मीदों पर कुठाराघात हो गया। जब उन्हें यह पता चला कि भवन सहित अन्य संसाधन तो सुलभ कराए गए, पर इंटर के शिक्षकों की कमी की भरपाई नहीं हुई। साइंस वर्ग में शिक्षकों की इस कदर कमी है कि एक दशक बाद भी तीन स्कूलों में कक्षाएं नहीं चालू हो सकीं। इन कॉलेजों में कागजों पर इंटर साइंस की पढ़ाई हो रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि शिक्षकों की तैनाती नहीं होने से बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते हैं। इसके बावजूद इंटर में नामांकित बच्चे बेहतर अंकों के साथ पास हो रहे हैं। दरअसल, वह नामांकन के बाद निजी कोचिंग संस्थानों का सहारा लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। इंटर में छात्र-छात्राओं का हुआ नामांकन, पर शिक्षक ही कम :
प्लस-टू राम सहाय उच्च विद्यालय में कला में 208 छात्रों का नामाकन है। वहीं उर्दू व अतिथि शिक्षक मिलाकर यहां पांच शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं साइस में 333 छात्रों पर एक शिक्षक कम हैं। प्लस-टू प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय के कला संकाय में 634 और साइंस में 285 छात्रों का नामाकन है। वहीं कला में मात्र दो शिक्षकों की नियुक्ति है। यहां भी साइंस के शिक्षकों के सभी पद रिक्त हैं। प्लस-टू अवध किशोर काटी विद्यालय में कला संकाय में 185 व साइस में 206 छात्रों का नामांकन है, पर कला संकाय में सभी शिक्षकों के पद रिक्त हैं। साइंस में दो शिक्षकों की नियुक्ति है। यही हाल बृज बिहारी विद्यालय का भी है। इसी वर्ष इस कॉलेज को कोड प्राप्त हुआ है। यहां कला वर्ग में 171, साइंस में 64 और कॉमर्स में तीन छात्रों का नामाकन है, लेकिन सिर्फ कला संकाय में दो शिक्षक तैनात हैं। मौजूदा समय एक ही शिक्षक कार्य कर रहे हैं। कॉमर्स संकाय नहीं, पर पांच साल से शिक्षक नियुक्त :

एक ओर जहा कला व साइंस संकाय में शिक्षकों की घोर कमी है, वहीं प्लस-टू राम सहाय उच्च विद्यालय में अलग ही माजरा है। प्रखंड के बदउवां में कॉमर्स संकाय है, पर वहा शिक्षक नहीं हैं। जबकि प्लस-टू राम सहाय उच्च विद्यालय में कॉमर्स संकाय नहीं है, इसके बाद भी 2014 से यहा कॉमर्स के शिक्षक के रूप में पुरुषोत्तम पांडेय कार्यरत हैं। सरकार की यह नीति लोगों की समझ से परे है। कॉलेज में पढ़ाई न होने के बावजूद शिक्षक की नियुक्ति पर जिले के वरीय शिक्षा अधिकारियों की नजर नहीं जाना, विभागीय व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहा है। 

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