पश्चिम चंपारण, जेएनएन। इंटरमीडिएट उत्तर पुस्तिका
मूल्याकंन कार्य में योगदान नहीं करनेवाले शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश
से वितरहित शिक्षा कर्मियों के संगठन अनुदान नहीं वेतनमान फोरम ने विरोध
जताया है। फोरम के प्रांतीय संयोजक प्रो. परवेज आलम ने कहा है कि
इंटरमीडिएट परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में जिन शिक्षकों ने योगदान नहीं
किया है, उनपर जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही
है। इनमें अधिकांश वित्तरहित शिक्षक हैं।
उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री से सवाल पूछा है कि क्या वित्तरहित कर्मियों को पूर्ण रूप से सरकारी कर्मी मान लिया गया है? तभी तो इन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह कार्य करने पर विवश किया जा रहा है और नहीं करने पर उनपर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। अगर ऐसा है, तो इन सभी वित्तरहित कर्मियों को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन सहित सारी सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि एफआईआर की धमकी से वित्तरहित शिक्षा कर्मी डरनेवाले नहीं है।
एक भी वित्तरहित कर्मी पर कानूनी डंडा चला, तो बिहार के हर जिले में उग्र प्रदर्शन और जेल भरो अभियान चलाया जाएगा। प्रो. आलम ने कहा कि एक तरफ बिहार के सभी वित्तरहित कर्मियों को इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षा के कार्य से वंचित करते हुए प्राइमरी शिक्षकों से वीक्षण का कार्य कराया गया और मूल्याकंन के लिए वितरहित शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है। आखिरकार क्यों नही प्राथमिकी शिक्षकों से मूल्यांकन का भी काम लिया जा रहा है।
वर्षों से वित्तरहित कर्मी तो शोषित है ही अब अध्यक्ष के तुगलकी फरमान से इन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। अभी तक की नए वेतनमान तो मिला ही नहीं होली जैसे पर्व सर पर है और अनुदान अभी तक नहीं पहुंचा। 6 से 7 वर्षों का अनुदान बाकी है। किस गुरबत में और कठिनाई से इनका जीवन व्यतीत हो रहा है और यह सुशासन सरकार इन पर दया करने के बजाय कानूनी डंडा चला रहा है। उन्होंने अध्यक्ष को अपने आदेश को वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री से सवाल पूछा है कि क्या वित्तरहित कर्मियों को पूर्ण रूप से सरकारी कर्मी मान लिया गया है? तभी तो इन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह कार्य करने पर विवश किया जा रहा है और नहीं करने पर उनपर प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। अगर ऐसा है, तो इन सभी वित्तरहित कर्मियों को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन सहित सारी सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि एफआईआर की धमकी से वित्तरहित शिक्षा कर्मी डरनेवाले नहीं है।
एक भी वित्तरहित कर्मी पर कानूनी डंडा चला, तो बिहार के हर जिले में उग्र प्रदर्शन और जेल भरो अभियान चलाया जाएगा। प्रो. आलम ने कहा कि एक तरफ बिहार के सभी वित्तरहित कर्मियों को इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षा के कार्य से वंचित करते हुए प्राइमरी शिक्षकों से वीक्षण का कार्य कराया गया और मूल्याकंन के लिए वितरहित शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है। आखिरकार क्यों नही प्राथमिकी शिक्षकों से मूल्यांकन का भी काम लिया जा रहा है।
वर्षों से वित्तरहित कर्मी तो शोषित है ही अब अध्यक्ष के तुगलकी फरमान से इन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। अभी तक की नए वेतनमान तो मिला ही नहीं होली जैसे पर्व सर पर है और अनुदान अभी तक नहीं पहुंचा। 6 से 7 वर्षों का अनुदान बाकी है। किस गुरबत में और कठिनाई से इनका जीवन व्यतीत हो रहा है और यह सुशासन सरकार इन पर दया करने के बजाय कानूनी डंडा चला रहा है। उन्होंने अध्यक्ष को अपने आदेश को वापस लेने की मांग की है।