दरअसल यहां के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने एक आरटीआई में जवाब मांगा था. इस जवाब में सुपौल के दो प्रखंडों के दस पंचायतो में फर्जी तरीको से चालीस शिक्षकों का नियोजन का खुलासा हुआ. इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता के आग्रह पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के अपर महानिदेशक को 19 जून 2018 को खुलासे के आंकड़े सौंपे. इस आवेदन के आधार पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने डीआईजी को जांच के निर्देश दिए फिर डीआईजी ने इस मामले मेंं 19 जून 2018 को तीन सदस्यीय टीम को मामले की जांच के लिए गठित किया. जांच पूरी होने के बाद जो तथ्य सामने आए हैं. उसमें सामने आया है कि चालीस शिक्षकों की नियुक्ति अवैध तरीके से की गई.
मामले की जांच के लिए अब तीन सदस्यों की टीम गठित की गई है. तीन सदस्यीय टीम पुलिस उपाधीक्षक गोपाल पासवान ने सुपौल सदर थाना में 84 लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है. गड़बड़ी में 40 फर्जी शिक्षकों को नियोजित करवाने में इलाके के प्रखंड की प्रमुख मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, हाईस्कूल के शिक्षक और प्रखंड के बीडीओ समेत शिक्षा विभाग के तत्कालीन डीपीओ स्थापना शामिल थे. इनकी कुल संख्या 44 है. इन 84 लोगों पर मुकदमा दायर हुआ है.