25 सितंबर को अंतिम सुनवाई
कोर्ट ने कहा 25 सितंबर को अंतिम सुनवाई होगी। जिस भी शिक्षक संघों के वकील को कुछ कहना है, वह प्राथमिक शिक्षक संघ के वकील कपिल सिब्बल के माध्यम से रख सकते हैं। बुधवार 20 वें दिन भी सुनवाई अधूरी ही रही। माना जा रहा है कि 25 सितंबर को अंतिम सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला दे देगा या फैसला सुरक्षित रख लेगा। न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
राज्य सरकार अपने साधन से बढ़ाए वेतन
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि फिर कहा कि सर्व शिक्षा अभियान मद की राशि राज्यों की जनसंख्या और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दी जाती है, न कि वेतन में बढ़ोतरी के लिए। राज्य सरकार चाहे तो अपने साधन से वेतन में बढ़ोतरी कर सकती है।
शिक्षकों को परेशान कर रही सरकार
शिक्षक संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने समान काम समान वेतन के पक्ष में सही फैसला दिया है। सरकार फैसले को लागू नहीं कर बेवजह नियोजित शिक्षकों को परेशान कर रही है। शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट में तर्क दिया जा रहा है कि समान काम के लिए समान वेतन नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पिछले दिनों भी यह तर्क दिया था कि नियमित शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से हुई है। नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है। इसलिए इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है।
1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा
सरकार के वकील ने कहा कि समान वेतन देने की आर्थिक स्थिति नहीं है। पहले भी केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कहा था समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को वहन करना संभव नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने भी कहा था कि आर्थिक स्थिति नहीं कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा। जुलाई 2015 से ही शिक्षकों को वेतनमान दिया जा चुका है। 2015 में 14 और 2017 में लगभग 17 प्रतिशत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी भी हुई है।