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वेतन 1.88 लाख, ड्यूटी अपनी मर्जी से

औरंगाबाद । जिले में नारी शिक्षा का हाल बेहाल है। महिलाओं की शिक्षा के लिए जिले में एक मात्र अंगीभूत किशोरी सिन्हा महिला महाविद्यालय है। कॉलेज का हाल बेहाल है। यहां अपनी मर्जी से प्राध्यापक कॉलेज आते हैं। दो वर्षो से पढ़ाई की स्थिति बदतर हो गई है।

कॉलेज का ताला सुबह 7.30 बजे खुलनी चाहिए परंतु यहां 11 बजे तक प्राध्यापक एवं कर्मचारी कॉलेज नहीं आते है। 7.45 बजे से कॉलेज में बीए प्रतिष्ठा की पढ़ाई शुरू करनी है परंतु ऐसा होता नहीं है। जागरण की टीम सोमवार को 10 बजे कॉलेज पहुंची। कॉलेज के अधिकांश विभागों में ताला लटका था। कुछ कर्मचारी एवं आदेशपाल कॉलेज के बाहर टहल रहे थे। गंदगी का अंबार लगा था। कॉलेज की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। कर्मियों ने गंदगी दिखाते हुए कहा कि देख लीजिए कुर्सी पर धूल जमा है। कहने को यहां 16 आदेशपाल है परंतु सभी काम करने के बजाय बात बनाने में व्यस्त रहते है। एक पेड़ के नीचे बैठे रहते हैं। यही हाल कर्मचारियों की है परंतु कर्मचारियों की उपस्थिति शिक्षकों से अधिक है। कॉलेज में प्राध्यापकों की संख्या कुल 31 है परंतु उपस्थिति मात्र चार थी। शिक्षक कक्ष में प्रो. डा. दिनेश शर्मा, डा. रविन्द्र ¨सह एवं डा. निर्मल कुमार ¨सह उपस्थित थे। यानि की 27 प्रोफेसर/प्राध्यापक कॉलेज नहीं पहुंचे थे। पूछने पर पता चला कि कॉलेज में कार्यरत चार प्रोफेसर का वेतन 1.88 लाख से अधिक है। इतना वेतन मिलने के बावजूद समय से कॉलेज न आना और छात्राओं को कॉलेज में न पढ़ाना गंभीर सवाल खड़ा करता है।

सुबह 7.45 से 12 बजे तक कॉलेज में एक भी वर्ग कक्ष का संचालन नहीं हुआ। संचालन की बात तो दूर न प्राध्यापक आए न ही छात्राएं। कॉलेज में छात्राओं की उपस्थिति नगण्य दिखी जबकि संख्या करीब 4600 है। बीए पार्ट- वन की छात्रा नेहा खान एवं निक्की प्रवीण ने बताया 2017 में नामांकन कराए है। कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है जिस कारण नहीं आते है। नामांकन कराने एवं फार्म भरने के समय कॉलेज आते है। छात्राओं को माने तो यहां पढ़ाई नहीं होती है जिस कारण उपस्थिति कम होती जा रही है।
17 के बाद से नहीं आए हैं कई प्राध्यापक
किशोरी सिन्हा महिला महाविद्यालय में अनुशासन नाम का कोई चीज नहीं है। अपनी मर्जी से प्राध्यापक कॉलेज आते है। जिस दिन कॉलेज आते है अपनी उपस्थिति न आने वाले दिन का बना लेते हैं। सोमवार को शिक्षकों की उपस्थिति पंजी देखकर यही लगा कि यहां के प्राध्यापकों को छुट्टी लेने की जरूरत नहीं है। डा. अनिल कुमार ¨सह छह फरवरी के बाद से कॉलेज नहीं आए थे। डा. उदय नारायण ¨सह, डा. ललन ¨सह एवं डा. अर¨वद ¨सह 17 फरवरी के बाद कॉलेज नहीं पहुंचे थे। अगर उक्त लोग छुट्टी पर थे तो उपस्थिति पंजी पर सीएल या अन्य छुट्टी अंकित होनी चाहिए थी परंतु ऐसा नहीं दिखा। पूछने पर बताया गया कि डा. उदय नारायण ¨सह एवं ललन ¨सह के यहां शादी थी। अब सवाल उठता है कि शादी थी तो प्राचार्य ने उपस्थिति पंजी पर छुट्टी क्यों नहीं अंकित किया। हालांकि सोमवार डा. अर¨वद ¨सह उपस्थित थे। बताया जाता है कि प्रतिदिन उपस्थिति विवरणी विश्वविद्यालय भेजा जाता है।

कार्यालय में कार्यरत है तीन कर्मी
कॉलेज में शिक्षकेतर कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। प्रधान सहायक एवं अन्य कर्मियों की संख्या मात्र तीन रह गई है। लैब टेक्नीशियन एवं लैब से जुड़े अन्य कर्मियों की संख्या अधिक है। काम करने वाले कर्मी अब कॉलेज में नहीं रहे। कार्यालय में मात्र तीन कर्मी कार्यरत है। शंभूनाथ वर्मा बड़ा बाबू के पद पर कार्यरत है। इनके अलावा मात्र एक सहायक भरत प्रसाद ¨सह एवं अंकेक्षक बलेन्द्र कुमार ¨सह है। सहायक रणवीर प्रसाद ¨सह 28 फरवरी को सेवानिवृत हो गए। रूटीन ‌र्क्लक के पद पर पांच कर्मी कार्यरत है।
छात्राएं बोली : कॉलेज में दफन हो रही शिक्षा व्यवस्था
किशोरी सिन्हा महिला महाविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था दफन हो रही है। पढ़ाई न होने से छात्राएं निराश हैं। जिले का एक मात्र महिला कॉलेज है परंतु यहां नियमित पढ़ाई नहीं होती है। कई बार छात्राओं ने आंदोलन चलाया परंतु स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई। बीए पार्ट- 2 की छात्रा प्रेरणा सुमन ने बताया कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है। कुछ छात्राएं पहले समय से कॉलेज आती थी परंतु वर्ग कक्ष नहीं चला तो कॉलेज आना छोड़ दी। को¨चग के सहारे उनकी पढ़ाई होती है। प्रीति कुमारी, नीलू, अनुराधा एवं माधुरी ने कहा कि सुधार का कोई लक्षण दिखाई देता है। वैसे कॉलेज में छात्राएं छात्रसंघ चुनाव की चर्चा करती दिखी। छात्रसंघ का चुनाव 17 मार्च को होना है।
मूल्यांकन में व्यस्त हैं प्राध्यापक : प्राचार्य
फोटो फाइल : 05 एयूआर 16

प्राचार्य डा. लालकेश्वर ¨सह कॉलेज में नहीं थे। फोन पर उन्होंने बताया कि मैं कॉलेज के काम से विश्वविद्यालय आया हूं। कॉलेज के अधिकांश शिक्षक बीए के कॉपी के मूल्यांकन में लगे है। कई दिनों बाद कॉलेज खुला है जिस कारण कुछ शिक्षकों के आने में देरी हुई है। कॉलेज में नियमित पढ़ाई होती है। कुछ वर्ग में छात्राएं नहीं आती है जिस कारण वर्ग का संचालन नहीं हो पाता है। पढ़ाई के मामले में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। छात्राओं को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास जारी है।

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