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क्या प्रारम्भिक विद्यालयों में पठन पाठन की कोई आवश्यकता नही ?

साथियों नमस्कार।
क्या हमलोग में से प्रारम्भिक विद्यालयों के शिक्षकगण राज्य सरकार की नजर में वाकई पूर्ण शिक्षक बनने के काबिल नहीं ?

क्या प्रारम्भिक विद्यालयों में पठन पाठन की कोई आवश्यकता नही ?
आज जब सरकार ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में BPSC के जरिये नियमित पूर्ण शिक्षक की बहाली करने की बात की है तो क्या ये सवाल स्वयम उठ खड़ा नही होता है?
सरकार इस बहाली के पीछे कारण ये बताती है कि कम पैसे मिलने और नियमित शिक्षक का लाभ नहीं मिलने के कारण शिक्षक माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नही पढ़ाते हैं।
तो क्या अपने काम के प्रति निष्ठावान नही रहने के इनाम के रुप में अब उन शिक्षकों की बहाली नियमित शिक्षक के रूप में करने की पहल कर सरकार प्रारम्भिक विद्यालयों में निष्ठापूर्वक काम करने वाले शिक्षकों के साथ भेदभाव करके ये सबक नही दे रही है कि अब प्रारम्भिक विद्यालयों के शिक्षकगण भी विद्यालयों में पढ़ाना बन्द कर दें तभी उनकी बहाली भी नियमित और पूर्ण शिक्षक के रूप में की जाएगी।
आइए एकजुट होकर सरकार के इस भेदभावपूर्ण नीति का पूरी एकता और निष्ठा से विरोध करें और सिर्फ माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में ही नही बल्कि प्रारम्भिक विद्यालयों में भी नियमित और पूर्ण शिक्षकों की बहाली के लिए सरकार पर दबाव बनाएं।
धन्यवाद।
समीर सारस्वत

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