बेगूसराय :
मुख्यमंत्री सात निश्चय के तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम संचालित कर रहे
हैं, जनता के समक्ष अपने सुशासन की बात कहते नहीं थक रहे हैं। परंतु,
वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक आज कल नहीं बल्कि पूरे 35
वर्षों से खस्ताहाल हैं। उनकी खस्ताहाली सरकार को नजर नहीं आ रही है।
तो कैसे माना जाए कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को ठीक करने के लिए उसे सात निश्चय में शामिल किए हुए हैं।
उक्त बातें जीडी कॉलेज के समक्ष आयोजित वित्तरहित शिक्षकों के धरना को संबोधित करते हुए प्रो. संजय गौतम ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार की दोहरी नीति के कारण राज्य के वित्तरहित शिक्षकों का बुरा हाल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, तब तक हम मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार जारी रखेंगे। वहीं, दूसरी ओर को-आपरेटिव कॉलेज के समक्ष आयोजित धरना को संबोधित करते हुए प्रो. परमानंद पाठक ने कहा कि सरकार की उदासीनता के कारण वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षिकों की यह हालत हुई है। विगत छह वर्षों का अनुदान वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में उनसे कितने बेहतर कार्यों की उम्मीद की जा सकती है। महिला कॉलेज पर आयोजित धरना में प्रो. संजय कुमार ने कहा कि हम सरकार की दोहरी नीति को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी लड़ाई शुरु हो चुकी है, अब मांग पूरी होने तक जारी रहेगी। मौके पर प्रो. पंकज कुमार, प्रो. विनोद चौधरी, प्रो. मेघनाथ कुमार, प्रो. ज्योति कुमारी, प्रो. अर¨वद ¨सह, प्रो. एकनाथ पाठक, प्रो. शैलेश रुखैयार, प्रो. चन्द्रशेखर चौरसिया, प्रो. शिबली रहमानी, प्रो. रामानुज ¨सह, प्रो. आभा सिन्हा, प्रो. संध्या कुमारी, प्रो. सीता कुमारी आदि मौजूद थे। वहीं, जिला संयोजक प्रो. रामाज्ञा प्रसाद ¨सह ने बताया कि शिक्षकों के आंदोलन का पूर्व एमएलसी डॉ. वसी अहमद व माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला सचिव गणेश प्रसाद ¨सह के द्वारा भी समर्थन किया गया।
तो कैसे माना जाए कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को ठीक करने के लिए उसे सात निश्चय में शामिल किए हुए हैं।
उक्त बातें जीडी कॉलेज के समक्ष आयोजित वित्तरहित शिक्षकों के धरना को संबोधित करते हुए प्रो. संजय गौतम ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार की दोहरी नीति के कारण राज्य के वित्तरहित शिक्षकों का बुरा हाल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, तब तक हम मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार जारी रखेंगे। वहीं, दूसरी ओर को-आपरेटिव कॉलेज के समक्ष आयोजित धरना को संबोधित करते हुए प्रो. परमानंद पाठक ने कहा कि सरकार की उदासीनता के कारण वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षिकों की यह हालत हुई है। विगत छह वर्षों का अनुदान वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में उनसे कितने बेहतर कार्यों की उम्मीद की जा सकती है। महिला कॉलेज पर आयोजित धरना में प्रो. संजय कुमार ने कहा कि हम सरकार की दोहरी नीति को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी लड़ाई शुरु हो चुकी है, अब मांग पूरी होने तक जारी रहेगी। मौके पर प्रो. पंकज कुमार, प्रो. विनोद चौधरी, प्रो. मेघनाथ कुमार, प्रो. ज्योति कुमारी, प्रो. अर¨वद ¨सह, प्रो. एकनाथ पाठक, प्रो. शैलेश रुखैयार, प्रो. चन्द्रशेखर चौरसिया, प्रो. शिबली रहमानी, प्रो. रामानुज ¨सह, प्रो. आभा सिन्हा, प्रो. संध्या कुमारी, प्रो. सीता कुमारी आदि मौजूद थे। वहीं, जिला संयोजक प्रो. रामाज्ञा प्रसाद ¨सह ने बताया कि शिक्षकों के आंदोलन का पूर्व एमएलसी डॉ. वसी अहमद व माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला सचिव गणेश प्रसाद ¨सह के द्वारा भी समर्थन किया गया।