सीतामढ़ी। नव प्रोन्नत शिक्षकों की स्कूलों में पदस्थापना किए जाने का
खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। डीएम के निर्देश के आलोक में नव प्रोन्नत
शिक्षकों को 22 अक्टूबर को आयोजित शिविर में ही पत्र निर्गत करना था। इसके
बावजूद पत्र निर्गत करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
वह भी बैक डेट में। वहीं डीईओ के ज्ञापांक 2530 दिनांक 27 अक्टूबर 2016 से महकमे में हड़कंप है।
क्या है डीईओ के पत्र में
डीईओ के ज्ञापांक 2530 दिनांक 27 अक्टूबर 2016 में 40 नवप्रोन्नत शिक्षकों के स्कूल आवंटन में संशोधन किया गया है। पत्र में बताया गया है कि अधोहस्ताक्षरी कार्यालय स्थापना प्रशाखा के ज्ञापांक 2742, 2743 व 2744 में उक्त शिक्षकों का स्कूलों में पदस्थापन परामर्श के अनुसार नहीं हुआ था। इसलिए अधोहस्ताक्षरी द्वारा निर्णय लिया गया है कि पूर्व में दिए गए निदेशानुसार प्रत्येक प्रखंड में समानुपातिक रुप से शिक्षकों को पदस्थापित किया जाए। इस संबंध में अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बिहारी मंडल ने कहा कि डीईओ की कार्यशैली संदेहास्पद है। संशोधित पत्र में वैसे शिक्षक को शामिल किया गया है जिसने शिविर में आनुपातिक रिक्ति के आलोक में अधीच्छा दी थी। इसके बावजूद नियमों व निर्देशों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से पत्र निर्गत किया गया है। अगर पत्र में संशोधन ही करना था तो समिति से सहमति लेनी चाहिए थी। इस संबंध में पूछे जाने पर डीपीओ स्थापना सुरेश प्रसाद ने बताया कि इस संशोधित पत्र के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली है।
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वह भी बैक डेट में। वहीं डीईओ के ज्ञापांक 2530 दिनांक 27 अक्टूबर 2016 से महकमे में हड़कंप है।
क्या है डीईओ के पत्र में
डीईओ के ज्ञापांक 2530 दिनांक 27 अक्टूबर 2016 में 40 नवप्रोन्नत शिक्षकों के स्कूल आवंटन में संशोधन किया गया है। पत्र में बताया गया है कि अधोहस्ताक्षरी कार्यालय स्थापना प्रशाखा के ज्ञापांक 2742, 2743 व 2744 में उक्त शिक्षकों का स्कूलों में पदस्थापन परामर्श के अनुसार नहीं हुआ था। इसलिए अधोहस्ताक्षरी द्वारा निर्णय लिया गया है कि पूर्व में दिए गए निदेशानुसार प्रत्येक प्रखंड में समानुपातिक रुप से शिक्षकों को पदस्थापित किया जाए। इस संबंध में अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बिहारी मंडल ने कहा कि डीईओ की कार्यशैली संदेहास्पद है। संशोधित पत्र में वैसे शिक्षक को शामिल किया गया है जिसने शिविर में आनुपातिक रिक्ति के आलोक में अधीच्छा दी थी। इसके बावजूद नियमों व निर्देशों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से पत्र निर्गत किया गया है। अगर पत्र में संशोधन ही करना था तो समिति से सहमति लेनी चाहिए थी। इस संबंध में पूछे जाने पर डीपीओ स्थापना सुरेश प्रसाद ने बताया कि इस संशोधित पत्र के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली है।
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