कल बिहार बोर्ड के चेयरमैन आनंद किशोर ने बड़ा फैसला लेते हुए जाँच के बाद 56 और कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी हैं. इस कड़ी में पिछले 2 साल के अंदर गलत ढंग से मान्यता प्राप्त 212 कॉलेज एवं स्कूलों के खिलाफ जांच कार्य पूरी होने के अब तक कुल 124 संस्थानों की मान्यता रद्द की जा चुकी हैं. यह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई हैं.
लेकिन सवाल ये उठता है की इस सब के पीछे कौन-कौन था ? क्या सिर्फ लालकेश्वर और बच्चा राय थे या इस सब में सरकार के नेता भी संलिप्त थे? और उन सफेदपेशो को बेनकाब नहीं किया जाना चाहिए ?
दूसरी बात ये है की इन फ़र्ज़ी कालेज से सफल अभ्यथी जो सरकारी नौकरियों में है,क्या वो फ़र्ज़ी नहीं ?क्या उन्हें चिन्हित कर अविलम्ब नहीं हटाया जाना चाहिए ? जिनके कारन योग्य,खरे अभ्यथियों को बेरोजगारी का दंश झेल रहे है ?
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