नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद और 2000 और 500 के नए नोट को लेकर लोगों में उसे पाने की होड़ भी लगी हुई है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार केंद्र सरकार से पूछा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने 2000 के नोट पर देवनागिरी का इस्तेमाल किया है?
हजार के नए नोट में देवनागरी लिपि के प्रयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मद्रास हाईकोर्ट में 2000 रुपए के नए करंसी नोट को 'अवैध' करार देने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि नए नोट में 'अंकों को दर्शाने के लिए देवनागरी प्रारूप' का इस्तेमाल किया गया है जो कि संविधान की ओर से अधिकृत नहीं हैं। जिसमें दावा किया गया है कि यह लिपि अनुच्छेद 343 (1) के विपरीत है. दरअसल मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै बेंच में केपीटी गणेशन, जो कि मदुरै के निवासी है उन्होंने जनहित याचिका दायर की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि देवनागरी अंकों के उपयोग भारतीय संविधान के खिलाफ है और इसे अमान्य घोषित किया जाए. याचिकाकर्ता ने या भी दलील दी कि राजभाषा अधिनियम, जो 1963 में अधिनियमित किया गया था उसमे अंकों के देवनागरी रूप का उपयोग के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि राष्ट्रपति ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने वित्त मंत्रालय से इसका जवाब मांगा है। अब इसकी अगली सुनावाई आज यानी मंगलवार को होनी है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि देवनागरी अंकों के उपयोग भारतीय संविधान के खिलाफ है और इसे अमान्य घोषित किया जाए. याचिकाकर्ता ने या भी दलील दी कि राजभाषा अधिनियम, जो 1963 में अधिनियमित किया गया था उसमे अंकों के देवनागरी रूप का उपयोग के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि राष्ट्रपति ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने वित्त मंत्रालय से इसका जवाब मांगा है। अब इसकी अगली सुनावाई आज यानी मंगलवार को होनी है।
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