राज्यके तमाम विश्वविद्यालयों में हर साल पीएचडी छात्रों द्वारा शोध किया जाता है। जिन्हें विवि की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश उच्च शिक्षा विभाग और यूजीसी काफी पहले जारी कर चुकी है। लेकिन राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर छात्रों के शोध कार्यों की सूची अपलोड नहीं है।
कारण है विश्वविद्यालयों के पास उनके यहां होने वाले शोध कार्यों की सूची ही नहीं है। फिर अपलोड कैसे होगा? विभाग ने एक माह के अंदर संक्षिप्त विवरण के साथ सूची अपलोड करने का आदेश दिया था पर आदेश के डेढ़ साल बाद तक विवि सूची ही तैयार नहीं कर सका है। ऐसे में यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का उल्लंघन तो हो ही रहा है। सैकड़ों छात्र-छात्राओं के शोध को ही प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा है।
मार्च2015 में जारी हुआ था आदेश
शोधकार्यों की सूची वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश को शिक्षा विभाग ने 26 मार्च 2015 को जारी किया था। विभाग के निदेशक ने सभी विवि के कुलसचिवों को पत्र जारी कर खेद जताते हुए कहा था कि विश्वविद्यालयों द्वारा शोध कार्यों की सूची एवं संक्षिप्त विवरण विवि की वेबसाइट एवं यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जा रहा है। इससे शोध कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। साथ ही विभाग ने एक माह के अंदर सूची तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश जारी किया था लेकिन फिलहाल किसी विवि की वेबसाइट पर सूची देखने को नहीं मिल रही है।
आदेश आया है तो काम होना चाहिए
फिलहालमुझेयाद नहीं है। एक बार मैं पता लगाता हूं। यदि विभाग का आदेश आया है तो उस पर काम तो होना चाहिए। प्रो.एसके सिन्हा, कुलसचिव पटना विवि
2009 का है नियम
शोधकार्यों की सूची को वेबसाइट पर अपलोड करने का नियम पीएचडी 2009 रेगुलेशन में ही शामिल था। यूजीसी ने शोध कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए यह नियम लाया था। इसकी पायरेसी पर रोक लगाना भी यूजीसी का मकसद था।
हर साल होता है शोध
पीजीकी पढ़ाई करने के बाद प्रत्येक विवि में सभी विषय के छात्रों द्वारा शोध किया जाता है। एक विवि में शोध करने वाले छात्रों की संख्या करीब 100 होते हैं। इस हिसाब से राज्यभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से करीब 2000 विद्यार्थियों द्वारा प्रत्येक वर्ष शोध किया जाता है। शोध कार्य की अवधि दो वर्ष है, लेकिन इस अवधि से अधिक समय में छात्रों का पीएचडी पूरा होता है।
सूची संभव नहीं
विभिन्नविश्वविद्यालयों के अधिकारियों का कहना है कि शोध कार्यों की पूरी सूची विवि के पास होना संभव नहीं है। विवि में कई विभाग हैं। इनमें छात्र-छात्राएं शोध करते हैं। विभागीय स्तर पर ही इसकी सूची मुमकिन है। दूसरी ओर विभागों का कहना है कि हमारे यहां शोध की सूची भी होती है और प्रारंभिक चरण में ही शोध और इससे जुड़ी तमाम जानकारी विवि को उपलब्ध हो जाती है। उच्च शिक्षा विभाग का आदेश विवि और विभाग की लड़ाई में दब कर रह गई है।
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कारण है विश्वविद्यालयों के पास उनके यहां होने वाले शोध कार्यों की सूची ही नहीं है। फिर अपलोड कैसे होगा? विभाग ने एक माह के अंदर संक्षिप्त विवरण के साथ सूची अपलोड करने का आदेश दिया था पर आदेश के डेढ़ साल बाद तक विवि सूची ही तैयार नहीं कर सका है। ऐसे में यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का उल्लंघन तो हो ही रहा है। सैकड़ों छात्र-छात्राओं के शोध को ही प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा है।
मार्च2015 में जारी हुआ था आदेश
शोधकार्यों की सूची वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश को शिक्षा विभाग ने 26 मार्च 2015 को जारी किया था। विभाग के निदेशक ने सभी विवि के कुलसचिवों को पत्र जारी कर खेद जताते हुए कहा था कि विश्वविद्यालयों द्वारा शोध कार्यों की सूची एवं संक्षिप्त विवरण विवि की वेबसाइट एवं यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जा रहा है। इससे शोध कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। साथ ही विभाग ने एक माह के अंदर सूची तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश जारी किया था लेकिन फिलहाल किसी विवि की वेबसाइट पर सूची देखने को नहीं मिल रही है।
आदेश आया है तो काम होना चाहिए
फिलहालमुझेयाद नहीं है। एक बार मैं पता लगाता हूं। यदि विभाग का आदेश आया है तो उस पर काम तो होना चाहिए। प्रो.एसके सिन्हा, कुलसचिव पटना विवि
2009 का है नियम
शोधकार्यों की सूची को वेबसाइट पर अपलोड करने का नियम पीएचडी 2009 रेगुलेशन में ही शामिल था। यूजीसी ने शोध कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए यह नियम लाया था। इसकी पायरेसी पर रोक लगाना भी यूजीसी का मकसद था।
हर साल होता है शोध
पीजीकी पढ़ाई करने के बाद प्रत्येक विवि में सभी विषय के छात्रों द्वारा शोध किया जाता है। एक विवि में शोध करने वाले छात्रों की संख्या करीब 100 होते हैं। इस हिसाब से राज्यभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से करीब 2000 विद्यार्थियों द्वारा प्रत्येक वर्ष शोध किया जाता है। शोध कार्य की अवधि दो वर्ष है, लेकिन इस अवधि से अधिक समय में छात्रों का पीएचडी पूरा होता है।
सूची संभव नहीं
विभिन्नविश्वविद्यालयों के अधिकारियों का कहना है कि शोध कार्यों की पूरी सूची विवि के पास होना संभव नहीं है। विवि में कई विभाग हैं। इनमें छात्र-छात्राएं शोध करते हैं। विभागीय स्तर पर ही इसकी सूची मुमकिन है। दूसरी ओर विभागों का कहना है कि हमारे यहां शोध की सूची भी होती है और प्रारंभिक चरण में ही शोध और इससे जुड़ी तमाम जानकारी विवि को उपलब्ध हो जाती है। उच्च शिक्षा विभाग का आदेश विवि और विभाग की लड़ाई में दब कर रह गई है।
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