पटना. एक तरफ सरकार शिक्षकों के सम्मान की बात करती
है तो वही दूसरी तरफ बिहार में प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस दिन को अपमान
दिवस के रुप में मनाने का निर्णय किया है। बिहार के शिक्षक सोमवार को
शिक्षक दिवस को अपमान दिवस के रूप में मनाने की तैयारी में जुटे हुए है।
दैनिक जागरण के
मुताबिक, शिक्षक अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर बिहार पंचायत नगर
प्रारंभिक शिक्षक संघ सहित अन्य संगठनों के द्वारा समाहरणालय गेट के समक्ष।
जो अंतरराष्ट्रीय श्रम कानून व समान काम का समान वेतन जैसी संवैधानिक
अवधारणाओं का शिक्षक नियुक्ति के मामले में गला घोंट रहा है।
तो वही बीबीसी के मुताबिक, पहला वेतन नौकरी शुरू करने के आठ महीने बाद
मिला था। इसके बाद से चार-पांच महीना बीतने पर दो महीने का वेतन मिलता है।
तीन साल की नौकरी में मुझे समय पर वेतन कभी नहीं मिला। बिहार राज्य
नवनियुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री प्रेम चन्द्र नीरज और प्रदेश
महामंत्री मो. मुस्तफा आजाद ने सरकार की मनमानी पर नारे लगाये। शिक्षकों ने
नियोजन पर शिक्षक पद पर बहाली बंद करने, अनुकंपा आश्रितों की नियुक्ति
सृजित पद के विरुद्ध वेतनमान पर करने की मांग की।
वहीं इस दिन सभी शिक्षर उपवास भी रखेंगे। संघ के जिलाध्यक्ष संजय
कुमार और महासचिव हीरालाल प्रकाश ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार को बरगला
रही है। शिक्षक एक सम्मानित चेहरा होता है। लेकिन उन्होंने उसी के साथ मजाक
करना शुरु कर दिया है। इस आशय की जानकारी सचिव प्रमोद कुमार एवं
कोषाध्यक्ष सुजीत कुमार ने दी है।
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