जमुई। शिक्षा विभाग में रंग-बिरंगे मामलों और आदेशों की धज्जियां उड़ाने
के कई कारनामे अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। इस बार फिर एक बार जमुई के
डीएम डॉ. कौशल किशोर ने इस मकड़जाल को तोड़ने की कोशिश में वर्षो से
अपनी-अपनी मनचाही जगह पर जमे सभी शिक्षकों को एक साथ प्रतिनियुक्ति रद्द
करने का आदेश जारी किया।
19 को जारी इस आदेश के भी छह दिन गुजर गए पर शिक्षकों पर इस आदेश का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। दरअसल जिलाधिकारी के पास लगातार इस बात की शिकायत मिल रही थी कि शिक्षक अपने सुविधानुसार मनचाही जगहों पर वर्षो से जमे पड़े हैं और इनपर शिक्षा विभाग के पदाधिकारी खासे मेहरबान हैं। बावजूद इसके वक्त-बेवक्त पदाधिकारी अपनी इच्छानुसार गिने-चुने शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर बाकी चहेते लोगों को छोड़ देते थे। इसके अलावे शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने भी 19.05.2015 को सभी क्षेत्रीय शिक्षा पदाधिकारी और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश देते हुए एक पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि प्रतिनियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन तात्कालिक प्रभाव से रद्द करते हुए पदस्थापित स्थान पर वापस कर दिया जाए। इसके लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 20.12.2015 की डेडलाइन तय कर दी थी और इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट भी 21.12.2015 तक अनिवार्य रूप से भेजने के लिए लिखा था। बताया जाता है कि इन आदेशों के आलोक में जिला में कई बार शिक्षकों को अपने पुराने जगह पर वापस करने की कोशिश की गई परंतु यह संभव नहीं हो पाया।भला मनमौजी शिक्षक के आगे आदेश का क्या महत्व। इस संबंध में यह भी कहा जा रहा है कि सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अपने मनचाही जगह पर प्रतिनियुक्त हैं जिनसे विभाग के आलाधिकारियों को मोटा फायदा होता है और यह रकम छोटे-छोटे टुकड़ों में एक साथ जमा होकर महीने में बहुत बड़ी हो जाती है। इस कारण वरीय अधिकारियों के प्रतिनियोजन रद्द करने के आदेश हमेशा कूड़ेदान में ही नजर आते हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिन्हा बताते हैं कि उन्हें जिलाधिकारी से प्रतिनियोजन रद्द करने का आदेश प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस बाबत अपने कार्यालय से सभी बीईओ को पत्र भी जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कितने शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर हैं पर यह आंकड़ा सौ में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों को प्रतिनियुक्त स्थान से विरमित कर दिया गया होगा पर किया गया है या नहीं, ये नहीं पता। उन्होंने प्रतिनियोजित शिक्षक से हर माह मोटी रकम वसूलने और कमाई करने की बात से इंकार किया।
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19 को जारी इस आदेश के भी छह दिन गुजर गए पर शिक्षकों पर इस आदेश का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। दरअसल जिलाधिकारी के पास लगातार इस बात की शिकायत मिल रही थी कि शिक्षक अपने सुविधानुसार मनचाही जगहों पर वर्षो से जमे पड़े हैं और इनपर शिक्षा विभाग के पदाधिकारी खासे मेहरबान हैं। बावजूद इसके वक्त-बेवक्त पदाधिकारी अपनी इच्छानुसार गिने-चुने शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर बाकी चहेते लोगों को छोड़ देते थे। इसके अलावे शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने भी 19.05.2015 को सभी क्षेत्रीय शिक्षा पदाधिकारी और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश देते हुए एक पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि प्रतिनियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन तात्कालिक प्रभाव से रद्द करते हुए पदस्थापित स्थान पर वापस कर दिया जाए। इसके लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 20.12.2015 की डेडलाइन तय कर दी थी और इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट भी 21.12.2015 तक अनिवार्य रूप से भेजने के लिए लिखा था। बताया जाता है कि इन आदेशों के आलोक में जिला में कई बार शिक्षकों को अपने पुराने जगह पर वापस करने की कोशिश की गई परंतु यह संभव नहीं हो पाया।भला मनमौजी शिक्षक के आगे आदेश का क्या महत्व। इस संबंध में यह भी कहा जा रहा है कि सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अपने मनचाही जगह पर प्रतिनियुक्त हैं जिनसे विभाग के आलाधिकारियों को मोटा फायदा होता है और यह रकम छोटे-छोटे टुकड़ों में एक साथ जमा होकर महीने में बहुत बड़ी हो जाती है। इस कारण वरीय अधिकारियों के प्रतिनियोजन रद्द करने के आदेश हमेशा कूड़ेदान में ही नजर आते हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेन्द्र कुमार सिन्हा बताते हैं कि उन्हें जिलाधिकारी से प्रतिनियोजन रद्द करने का आदेश प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस बाबत अपने कार्यालय से सभी बीईओ को पत्र भी जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कितने शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर हैं पर यह आंकड़ा सौ में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों को प्रतिनियुक्त स्थान से विरमित कर दिया गया होगा पर किया गया है या नहीं, ये नहीं पता। उन्होंने प्रतिनियोजित शिक्षक से हर माह मोटी रकम वसूलने और कमाई करने की बात से इंकार किया।
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