समस्तीपुर । शिक्षा विभाग में बिना आंदोलन के कोई सुनवाई नहीं होती है। चाहे मामला वेतन, प्रवरण वेतनमान, पदोन्नति व अन्य बकाए से संबंधित हो। जबतक अनशन, धरना, प्रदर्शन व घेराव नहीं होता विभाग के कान पर जूं नहीं रेंगती है।
कई मामलों में शिक्षकों व कर्मियों को न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। शिक्षकों के प्रवरण वेतनमान का मामला वर्षों से लंबित था। धरना-प्रदर्शन व शिक्षा विभाग के कार्यालयों के घेराव का आंदोलन वर्षों चलता रहा। थक हारकर जब शिक्षकों ने हाईकोर्ट की शरण ली तब जाकर उन्हें प्रवरण वेतनमान का लाभ मिला। बार-बार आंदोलन के बाद भी विभाग अपने रवैये पर कायम है। उसके काम करने का अपना निराला अंदाज है। जैसे अधिकारियों को शिक्षकों व कर्मियों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं हो। या फिर बात अंदर खाते कुछ और हो। कारण जो भी परेशानी तो निरीह शिक्षकों व कर्मियों को ही होती है। पूर्व में पदोन्नति के लिए शिक्षकों को लगातार आंदोलन करना पड़ा था। शिक्षकों व कर्मियों के अब भी कई मामले आंदोलन के अभाव में लंबित है।
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पेशनर्स को 11 दिन अनशन व धरना पर बैठना पड़ा
प्रवरण वेतनमान की लाभ को लेकर पेशनर्स एसोसिएशन के बैनर तले अवकाश प्राप्त शिक्षकों को डीईओ कार्यालय पर लगातार 11 दिनों तक धरना-सत्याग्रह तथा जत्थेबार अनशन करना पड़ा था। 11 दिन आंदोलन के बाद विभाग की कुंभकर्णी ¨नद्रा टूटी। तब जाकर 14536 शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का स्वीकृति आदेश मिला। यह तो महज संयोग था की बूढे़ पेंशनभोगी शिक्षकों ने अनिश्चितकालीन अनशन न कर जत्थेबार अनशन किया था।
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आवंटन के बाद भी शिक्षकों को वेतन देने में कोताही
शिक्षकों को वेतन देने में भी विभाग हमेशा सुस्ती बरती है। आवंटन के बाद शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलता है। संघ के पदाधिकारी के द्वारा इसके लिए बार-बार जिलाधिकारी व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्मार देना पड़ता है। धरना प्रदर्शन भी करना पड़ता है। ईद के बाद भी अबतक शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया है। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव रामदयाल चौधरी ने कहा कि मार्च 2016 से शिक्षकों का वेतन बकाया है। जबकि आवंटन प्राप्त है। वहीं प्राथमिक व मिडिल स्कूल के शिक्षकों का अप्रैल माह से वेतन बकाया है। बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रामचंद्र राय ने कहा कि ईद में अब चंद दिन शेष है लेकिन शिक्षकों का वेतन नहीं मिला है। शिक्षकों का अप्रैल माह से वेतन बकाया है।
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¨पकी की मौत के बाद शुरू हुआ भुगतान
साक्षर भारत मिशन के केआरपी ¨पकी की मौत बकाए के लिए आंदोलन करने के चक्कर में हो गई। वह अन्य केआरपी के साथ बकाए के भुगतान के लिए अनिश्चितकालीन अनशन शुरू की थी। अनशन के दौरान उसकी स्थिति बिगड़ गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। अगले दिन उसकी मौत हो गई। केआरपी का 20-22 महीने से बकाया था। केआरपी को प्रत्येक माह 20 निरीक्षण करना होता है। इसके एवज में 500 रुपये प्रत्येक दिन के हिसाब से प्रत्येक माह दस हजार रुपये दिया जाता है। अब जब एक आंदोलनकारी की मौत हो गई तो शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में शनिवार को केआरपी के बकाए भुगतान का काम कर दिया। जिले में फिलवक्त 17 केआरपी बचे हैं।
वर्जन
आवंटन मिल गया है शिक्षकों को ईद से पहले वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। आवंटन के अभाव में शिक्षकों का वेतन बकाया रहता है।
रामचंद्र मंडल, डीपीओ स्थापना।
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