मुजफ्फरपुर। सरकारी स्कूलों में
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन बच्चे
को सहीं तरीके से शिक्षा नहीं मिल रही। भले ही सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
की दावेदारी कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और है। बिहार शिक्षा परियोजना की
रिपोर्ट से पूरे मामले का खुलासा हुआ है।
जिले में 3 हजार 41 प्राथमिक व मध्य विद्यालय है। बिहार शिक्षा परियोजना के माध्यम से मार्च महीने में 2770 स्कूलों का निरीक्षण कराया गया जिसमें133 स्कूलों के पास रुटीन नहीं पाया गया। यानि बिना रुटीन के ही कक्षाएं चल रही हैं। राज्य मुख्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में कहा कि 2637 स्कूलों में समय तालिका पाया गया। दूसरी ओर समय तालिका के अनुसार 275 स्कूलों में कक्षा का संचालन नहीं पाया गया।
पाठ्यक्रम नहीं जानते शिक्षक
मुजफ्फरपुर : प्राथमिक व मध्य विद्यालय के 400 से अधिक शिक्षक पाठ्यक्रम से अनभिज्ञ हैं। 2573 स्कूलों की जांच से मामले का खुलासा हुआ। जांच में पाया गया कि 197 स्कूलों में पाठ्यक्रम ही नहीं है। वहीं 398 शिक्षकों को पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं है। साथ ही 261 बच्चों की दक्षता जांच नहीं की गई है। स्कूल के शिक्षक पठन-पाठन में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। न तो पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई हो रही और न पिछड़ने वाले बच्चों पर ध्यान दिया जा रहा है। जांच के दौरान 16611 शिक्षकों में से 12109 शिक्षक ही कक्षा में पाए गए। जबकि 1041 शिक्षक कार्यालय में बैठकर समय काट रहे थे। वहीं, 192 कक्षाओं में शिक्षक बैठे थे, लेकिन पढ़ा नहीं रहे थे।
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जिले में 3 हजार 41 प्राथमिक व मध्य विद्यालय है। बिहार शिक्षा परियोजना के माध्यम से मार्च महीने में 2770 स्कूलों का निरीक्षण कराया गया जिसमें133 स्कूलों के पास रुटीन नहीं पाया गया। यानि बिना रुटीन के ही कक्षाएं चल रही हैं। राज्य मुख्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में कहा कि 2637 स्कूलों में समय तालिका पाया गया। दूसरी ओर समय तालिका के अनुसार 275 स्कूलों में कक्षा का संचालन नहीं पाया गया।
पाठ्यक्रम नहीं जानते शिक्षक
मुजफ्फरपुर : प्राथमिक व मध्य विद्यालय के 400 से अधिक शिक्षक पाठ्यक्रम से अनभिज्ञ हैं। 2573 स्कूलों की जांच से मामले का खुलासा हुआ। जांच में पाया गया कि 197 स्कूलों में पाठ्यक्रम ही नहीं है। वहीं 398 शिक्षकों को पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं है। साथ ही 261 बच्चों की दक्षता जांच नहीं की गई है। स्कूल के शिक्षक पठन-पाठन में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। न तो पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई हो रही और न पिछड़ने वाले बच्चों पर ध्यान दिया जा रहा है। जांच के दौरान 16611 शिक्षकों में से 12109 शिक्षक ही कक्षा में पाए गए। जबकि 1041 शिक्षक कार्यालय में बैठकर समय काट रहे थे। वहीं, 192 कक्षाओं में शिक्षक बैठे थे, लेकिन पढ़ा नहीं रहे थे।