मोतिहारी। पूर्वी चंपारण के कोटवा प्रखंड की मच्छरगांवा पंचायत में 2008
में हुए शिक्षक नियोजन में की गई गड़बड़ी को लेकर पिछले छह साल से चल रही
न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो गई है। उच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में
जिला अपीलीय प्राधिकार न्यायालय ने इस पंचायत के छह शिक्षकों के नियोजन को
अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है।
अपने फैसले में न्यायालय ने नियोजन इकाई को आगे की कार्रवाई करने व निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है। अपने फैसले में प्राधिकार न्यायालय ने नियोजन में नियोजन इकाई यानि मुखिया व पंचायत सचिव पर नियमों की अवहेलना कर तथा मेधा को नजर अंदाज कर कम अंक वाले अभ्यर्थियों का नियोजन करने का दोषी पाया है। इस तरह से नियोजित शिक्षक लालबाबू कुमार, सीमा कुमारी, पंकज कुमार, सुमन सुरभि, रत्नेश कुमार तथा कौशर प्रवीण के नियोजन को अवैध करार दिया गया है।
2008 में कुल आठ रिक्तियों के विरुद्ध तैयार की गई थी मेधा सूची
जानकारी के अनुसार 2008 में चल रही शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया के दौरान कुल आठ रिक्तियों के विरुद्ध मेधा सूची तैयार हुई। परंतु नियोजन स्थगित हो गया। 2010 में नियोजन की प्रक्रिया जब पुन: शुरू हुई तब पंचायत में सात नए प्राथमिक विद्यालय खुलने के कारण 14 रिक्तियां बढ़ गई । अब कुल 21 रिक्तियों के विरुद्ध नियोजन प्रक्रिया शुरू हुई । इसी दौरान मेधा सूची में विभिन्न कोटियों के उच्च अंक वाले उमीदवारों को बिना सूचना दिए ही नियोजन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई और कम अंक प्रतिशत वाले अभ्यर्थियों का नियोजन भी कर लिया गया।
वंचित अभ्यर्थियों ने दायर किया था मुकदमा
नियोजन से वंचित छह अभ्यर्थी रंभा कुमारी, गुड़िया कुमारी, अनिल कुमार दास, मनोज कुमार दास, लक्ष्मण प्रसाद तथा रूबी खानम ने पंचायत सचिव, पूर्व पंचायत सचिव तथा 19 कार्यरत शिक्षकों के खिलाफ जिला अपीलीय प्राधिकार न्यायालय में 729/2010 वाद दायर किया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उक्त फैसला सुनाया।
फैसले के खिलाफ प्राधिकार न्यायालय गए हटाए गए शिक्षक
फैसले के खिलाफ हटाए गए शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में उनका पक्ष नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए सीडब्लूजेसी संख्या 10844 /12 दायर किया। उच्च न्यायालय ने प्राधिकार न्यायालय को उक्त मामले को पुन: संबंधित पक्षों को सुनने के निर्देश के साथ उक्त वाद को स्थानांतरित कर दिया। प्राधिकार न्यायालय में पुन: दायर वाद संख्या 899/2014 का सुनवाई करते हुए उक्त सभी प्रतिवादियों के नियोजन को अवैध पाया तथा रद्द करने का आदेश दिया। साथ ही रंभा कुमारी सहित सभी छह अपीलकर्ताओं के दावे को सही पाया व उनके नियोजन का आदेश दिया। अपीलीय प्राधिकार न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी ब्रजेंद्र कुमार पाण्डेय के हस्ताक्षर से जारी 15 पृष्ट के फैसले की प्रति सभी संबंधित पक्षों को भेज दी गई है।
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अपने फैसले में न्यायालय ने नियोजन इकाई को आगे की कार्रवाई करने व निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है। अपने फैसले में प्राधिकार न्यायालय ने नियोजन में नियोजन इकाई यानि मुखिया व पंचायत सचिव पर नियमों की अवहेलना कर तथा मेधा को नजर अंदाज कर कम अंक वाले अभ्यर्थियों का नियोजन करने का दोषी पाया है। इस तरह से नियोजित शिक्षक लालबाबू कुमार, सीमा कुमारी, पंकज कुमार, सुमन सुरभि, रत्नेश कुमार तथा कौशर प्रवीण के नियोजन को अवैध करार दिया गया है।
2008 में कुल आठ रिक्तियों के विरुद्ध तैयार की गई थी मेधा सूची
जानकारी के अनुसार 2008 में चल रही शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया के दौरान कुल आठ रिक्तियों के विरुद्ध मेधा सूची तैयार हुई। परंतु नियोजन स्थगित हो गया। 2010 में नियोजन की प्रक्रिया जब पुन: शुरू हुई तब पंचायत में सात नए प्राथमिक विद्यालय खुलने के कारण 14 रिक्तियां बढ़ गई । अब कुल 21 रिक्तियों के विरुद्ध नियोजन प्रक्रिया शुरू हुई । इसी दौरान मेधा सूची में विभिन्न कोटियों के उच्च अंक वाले उमीदवारों को बिना सूचना दिए ही नियोजन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई और कम अंक प्रतिशत वाले अभ्यर्थियों का नियोजन भी कर लिया गया।
वंचित अभ्यर्थियों ने दायर किया था मुकदमा
नियोजन से वंचित छह अभ्यर्थी रंभा कुमारी, गुड़िया कुमारी, अनिल कुमार दास, मनोज कुमार दास, लक्ष्मण प्रसाद तथा रूबी खानम ने पंचायत सचिव, पूर्व पंचायत सचिव तथा 19 कार्यरत शिक्षकों के खिलाफ जिला अपीलीय प्राधिकार न्यायालय में 729/2010 वाद दायर किया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उक्त फैसला सुनाया।
फैसले के खिलाफ प्राधिकार न्यायालय गए हटाए गए शिक्षक
फैसले के खिलाफ हटाए गए शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में उनका पक्ष नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए सीडब्लूजेसी संख्या 10844 /12 दायर किया। उच्च न्यायालय ने प्राधिकार न्यायालय को उक्त मामले को पुन: संबंधित पक्षों को सुनने के निर्देश के साथ उक्त वाद को स्थानांतरित कर दिया। प्राधिकार न्यायालय में पुन: दायर वाद संख्या 899/2014 का सुनवाई करते हुए उक्त सभी प्रतिवादियों के नियोजन को अवैध पाया तथा रद्द करने का आदेश दिया। साथ ही रंभा कुमारी सहित सभी छह अपीलकर्ताओं के दावे को सही पाया व उनके नियोजन का आदेश दिया। अपीलीय प्राधिकार न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी ब्रजेंद्र कुमार पाण्डेय के हस्ताक्षर से जारी 15 पृष्ट के फैसले की प्रति सभी संबंधित पक्षों को भेज दी गई है।
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