रोहतास। हाईकोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार पुलिस को राजपुर प्रखंड में
पदस्थापित 33 फर्जी शिक्षकों का दस्तावेज निगरानी विभाग को सौंपना पड़ा।
निगरानी उन दस्तावेजों को प्राप्त कर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। जिसके बाद
फर्जी शिक्षकों व नियोजन इकाइयों की बेचैनी बढ़ गई है।
निगरानी विभाग की मानें तो फर्जी दस्तावेज पर नियोजन करने वाली इकाइयों पर भी प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई है।
एसपी मानवजीत ¨सह ढिल्लो ने रविवार को बताया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में कांड संख्या 24/13 से संबंधित केस डायरी सहित अन्य दस्तावेज तय समय तक निगरानी को हैंडओवर कर दिया गया। ताकि फर्जी शिक्षक नियोजन संबंधी मामले की जांच निगरानी कर सके। बताते चले कि राजपुर में 33 फर्जी शिक्षक नियोजन से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने निगरानी को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश पूर्व में ही दिया था। लेकिन पुलिस महकमा दस्तावेज निगरानी को उपलब्ध कराने में उदासीन रहा। निगरानी विभाग के आवेदन पर कोर्ट नेकड़ा रुख अख्तियार करते हुए तीन दिनों के अंदर एसपी से कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की थी। जिसके बाद पुलिस की सक्रियता बढ़ गई। निगरानी सूत्रों का कहना है कि गत पांच मई को ही कोर्ट ने नियोजन से संबंधित दस्तावेज को सुपुर्द करने का आदेश दिया था। समय पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए तीन दिनों के अंदर केस हैंडओवर करने का आदेश एसपी को दिया। जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।
चार वर्षों से कार्रवाई का इंतजार : राजपुर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में तैनात 33 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की आस 2012 से ही लोगों में लगी है। गलत प्रमाणपत्रों के आधार पर व नियोजन इकाइयों की मिलीभगत से नियोजित शिक्षक अब नि¨श्चत हो गए थे कि उनका अब कुछ बिगड़ने वाला नहीं। लेकिन जीतेंद्र कुमार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने फर्जी शिक्षकों की जांच की जवाबदेही निगरानी को दे कार्रवाई का भी फरमान जारी किया है। पुलिस द्वारा नियोजन संबंधी दस्तावेज निगरानी को सौंपे जाने के बाद क्षेत्र में अब इन शिक्षकों के साथ नियोजन इकाइयों पर भी कार्रवाई की चर्चा जोर पकड़ने लगी है।
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निगरानी विभाग की मानें तो फर्जी दस्तावेज पर नियोजन करने वाली इकाइयों पर भी प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई है।
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चार वर्षों से कार्रवाई का इंतजार : राजपुर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में तैनात 33 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की आस 2012 से ही लोगों में लगी है। गलत प्रमाणपत्रों के आधार पर व नियोजन इकाइयों की मिलीभगत से नियोजित शिक्षक अब नि¨श्चत हो गए थे कि उनका अब कुछ बिगड़ने वाला नहीं। लेकिन जीतेंद्र कुमार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने फर्जी शिक्षकों की जांच की जवाबदेही निगरानी को दे कार्रवाई का भी फरमान जारी किया है। पुलिस द्वारा नियोजन संबंधी दस्तावेज निगरानी को सौंपे जाने के बाद क्षेत्र में अब इन शिक्षकों के साथ नियोजन इकाइयों पर भी कार्रवाई की चर्चा जोर पकड़ने लगी है।
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