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फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच , बीस के बाद बीईओ पर एफआईआर

बक्सर । फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच कर रही निगरानी को नियोजन इकाइयों द्वारा शिक्षकों का फोल्डर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। जबकि, इसके लिए विभाग ने सभी बीईओ को बीस अक्टूबर तक का समय दिया है। ऐसे में बीस के बाद उन पर कार्रवाई होना तय है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना विनायक पांडेय ने बताया कि अभी तक किसी नियोजन इकाई से फोल्डर उपलब्ध नहीं हुआ है।

डीपीओ ने बताया कि इस बाबत सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे नियोजन इकाइयों से शिक्षकों का फोल्डर लेकर उसे विभाग में जमा करें। लेकिन, किसी बीईओ द्वारा अब तक ऐसा नहीं किया गया है। उन्होंने इस परिस्थिति में बीईओ पर बीस के बाद प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी। साथ ही जो नियोजन इकाई बीईओ को फोल्डर उपलब्ध नहीं करायेगी, उस पर भी कार्रवाई होगी। लेकिन, यहां सवाल उठता है कि जब नियोजन इकाइयां बीईओ को फोल्डर उपलब्ध ही नहीं करायेंगी तो बीईओ कैसे उसे विभाग में जमा करेंगे। ऐसे में उन पर कार्रवाई का कोई मतलब नहीं होता। हालांकि, डीपीओ का कहना है कि बीईओ के स्तर पर भी लापरवाही बरती जा रही है। जबकि, इस मामले में निगरानी का रूख काफी कड़ा है। बताते चलें कि निगरानी ने कोर्ट में तीस नवंबर तक जांच रिपोर्ट सुपुर्द करने का लक्ष्य बनाया है। लेकिन, अभी तक जब फोल्डर ही विभाग ढूंढ रहा है तो इसमें जांच क्या होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बताते चलें कि पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर फर्जी प्रमाणपत्रों पर बहाल शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू हुई है। बावजूद, कार्रवाई की जो गति है वह पूरे मामले को निपटाने की ओर इशारा कर रहा है।

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