बिहार में दलित-महादलित तथा कुशवाहा समुदाय के बड़े नेता रामविलास पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र
कुशवाहा को साथ लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) जंगलराज का
मुकाबला करने वाला सबसे मजबूत गठबंधन बन चुका है। दूसरी तरफ मुलायम सिंह
यादव और तारिक अनवर के हटने से लालू-नीतीश का महागठबंधन चुनाव से पहले ही
बिखर गया है।
तारिक अनवर के रूप में जो एकमात्र मुस्लिम चेहरा था, उसने भी महागठबंधन को लात मार कर इनके सेक्युलरिजम का पानी उतार दिया।
महागठबंधन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का घोर अपमान हो रहा है। रैली में सबसे बड़े नेता के अंत में बोलने की परंपरा है, लेकिन पटना रैली में सोनिया गांधी के बाद लालू प्रसाद का भाषण हुआ। सोनिया गांधी का ऐसा सार्वजनिक अपमान पहले कभी नहीं हुआ था। राहुल गांघी की चंपारण रैली में तो नीतीश कुमार और लालू प्रसाद, दोनों नहीं गए। वहां राहुल का कद छोटा करने के लिए लालू ने छोटे बेटे को भेज दिया।
महागठबंधन में जिस मुलायम सिंह यादव को सर्वोच्च नेता बताया गया, उनकी पार्टी सपा को मात्र पांच सीट देकर अपमानित किया गया। लालू प्रसाद पर दबाव डालकर मुलायम सिंह ने ही नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता बनवाया था। अब नीतीश कुमार सपा अध्यक्ष को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाकर अपमानित कर रहे हैं।
तीन दर्जन विधायकों ने नापाक महागठबंधन को छोड़ दिया है, जबकि नीतीश कुमार एकता के झूठे दावे कर रहे हैं। लालू प्रसाद अपने समधी (मुलायम सिंह) को भी साथ नहीं रख सके। उनका ध्यान न पिछड़े-अतिपिछड़े समाज पर है, न अल्पसंख्यकों पर । वे केवल बेटों को लांच करने की गोटियां सेट कर रहे हैं। टिकट बंटवारे में उन्होंने पिछड़े वर्ग की सिर्फ चंद जातियों पर भरोसा किया।
आंतरिक झगड़े के कारण महागठबंधन सिर्फ राजद-जदयू गठबंधन रह गया है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि उसका गठबंधन जद-यू से है। इन तीन दलों के कार्यकर्ता भी एकजुट नहीं हैं। जद-यू के जो लोग लालू प्रसाद से गठबंधन के खिलाफ हैं, वे चुनाव में जंगलराज को रोकने के लिए ही काम करेंगे।
नीतीश कुमार ने भाजपा के डर से 145 की जगह मात्र 100 सीट पर उम्मीदबार उतारे हैं। पिछले चुनाव में जीती 115 सीट भी जदयू अपने पास नहीं रख सका। चुनाव के बाद उनके पास लाज रखने लायक सीटें भी नहीं होंगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
तारिक अनवर के रूप में जो एकमात्र मुस्लिम चेहरा था, उसने भी महागठबंधन को लात मार कर इनके सेक्युलरिजम का पानी उतार दिया।
महागठबंधन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का घोर अपमान हो रहा है। रैली में सबसे बड़े नेता के अंत में बोलने की परंपरा है, लेकिन पटना रैली में सोनिया गांधी के बाद लालू प्रसाद का भाषण हुआ। सोनिया गांधी का ऐसा सार्वजनिक अपमान पहले कभी नहीं हुआ था। राहुल गांघी की चंपारण रैली में तो नीतीश कुमार और लालू प्रसाद, दोनों नहीं गए। वहां राहुल का कद छोटा करने के लिए लालू ने छोटे बेटे को भेज दिया।
महागठबंधन में जिस मुलायम सिंह यादव को सर्वोच्च नेता बताया गया, उनकी पार्टी सपा को मात्र पांच सीट देकर अपमानित किया गया। लालू प्रसाद पर दबाव डालकर मुलायम सिंह ने ही नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता बनवाया था। अब नीतीश कुमार सपा अध्यक्ष को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाकर अपमानित कर रहे हैं।
तीन दर्जन विधायकों ने नापाक महागठबंधन को छोड़ दिया है, जबकि नीतीश कुमार एकता के झूठे दावे कर रहे हैं। लालू प्रसाद अपने समधी (मुलायम सिंह) को भी साथ नहीं रख सके। उनका ध्यान न पिछड़े-अतिपिछड़े समाज पर है, न अल्पसंख्यकों पर । वे केवल बेटों को लांच करने की गोटियां सेट कर रहे हैं। टिकट बंटवारे में उन्होंने पिछड़े वर्ग की सिर्फ चंद जातियों पर भरोसा किया।
आंतरिक झगड़े के कारण महागठबंधन सिर्फ राजद-जदयू गठबंधन रह गया है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि उसका गठबंधन जद-यू से है। इन तीन दलों के कार्यकर्ता भी एकजुट नहीं हैं। जद-यू के जो लोग लालू प्रसाद से गठबंधन के खिलाफ हैं, वे चुनाव में जंगलराज को रोकने के लिए ही काम करेंगे।
नीतीश कुमार ने भाजपा के डर से 145 की जगह मात्र 100 सीट पर उम्मीदबार उतारे हैं। पिछले चुनाव में जीती 115 सीट भी जदयू अपने पास नहीं रख सका। चुनाव के बाद उनके पास लाज रखने लायक सीटें भी नहीं होंगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC