PATNA: स्टेट के नियोजित टीचर्स को कई महीने से वेतन नहीं मिला है. वेतनमान के लिए लड़ रहे टीचर फिलहाल वेतन की एक पाई को तरस रहे हैं. अब तक टीचर्स के आंदोलन के बाद शिक्षक संगठनों के साथ एजुकेशन डिपार्टमेंट की जो भी वार्ता होती है हर बार शिक्षक संगठनों की तरफ से नियमित वेतन भुगतान की मांग उठती है और हर बार एजुकेशन डिपार्टमेंट टीचर्स को नियमित वेतन भुगतान का आश्वासन भी देती है,
लेकिन शिक्षक संगठनों और नियोजित टीचर्स की मानें तो अबतक ऐसा नहीं हुआ है कि इन टीचर्स को किसी भी साल नियमित भुगतान हुआ हो.
सात महीने से बकाया है वेतन
अनियमित वेतन की मार झेल रहे टीचर कई परेशानियों से घिरे हैं. वेतन देने के मामले में भी एजुकेशन डिपार्टमेंट और गवर्नमेंट की लापरवाही साफ दिखती है. स्टेट के अठारह जिले ऐसे हैं, जहां पिछले दिसंबर के बाद से वेतन दिया ही नहीं गया है. वहीं, शेष जिले में फरवरी तक का वेतन टीचर्स को मिला है. टीचर्स आक्रोशित हैं कि राशि का अनियमित आवंटन क्यों होता है. एजुकेशन डिपार्टमेंट के ऑफिसर इसके पीछे तर्क देते हैं कि जिन जिलों में राशि आवंटन ज्यादा हो गया था वहां टीचर्स को फरवरी तक का वेतन दिया गया है. अठारह जिलों के करीब दो लाख टीचर को दिसंबर से वेतन नहीं मिला है.
साल में दो बार ही मिलता है वेतन
एक शिक्षक नेता कहते हैं कि ख्00म् में नियोजित हुआ. अबतक एक भी साल ऐसा नहीं बीता जब हमलोगों को नियमित वेतन मिला हो. उन्होंने कहा कि नियोजित टीचर्स को सरकार साल में दो ही बार वेतन देती है. एक वेतन सरकार जुलाई में देती है और दूसरा दिसंबर में. डिपार्टमेंट्स का रोना है कि केंद्र की ओर से पैसा ही नहीं दिया गया है इस कारण टीचर्स को पैसा नहीं दिया जा रहा है.
शिक्षक आपस में ही आमने-सामने
मामला हाई स्कूल और उत्क्रमित हाई स्कूल का है. कई जिले ऐसे हैं जहां हाई स्कूल में कार्यरत नियोजित टीचर्स को फरवरी तक का वेतन दिया गया है. लेकिन सेम जिले में उत्क्रमित हाई स्कूल के नियोजित टीचर्स को वेतन दिसंबर से ही नहीं दिया गया है. उत्क्रमित हाई स्कूल में एक लड़ाई टीचर्स के बीच चलती है. ये लड़ाई वरीयता को लेकर है. हाई स्कूल से ट्रांसफर होकर उत्क्रमित हाई स्कूल आए टीचर्स स्वयं को सीनियर मानते हैं और जो पहले से उस स्कूल में पदस्थापित हैं वे खुद को ज्यादा सीनियर मानते हैं और ये लड़ाई होती है स्कूल इंचार्ज बनने की. पहले से पदस्थापित टीचर्स तर्क देते हैं कि पहले से स्कूल में हैं इसलिए वे ही इंचार्ज बनेंगे और हाई स्कूल से आये टीचर का तर्क होता है कि वे सीनियर है इसलिए इंचार्ज वे लेंगे. ऐसे कई विवाद पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास भी पहुंचे हैं. इस बीच शिक्षक नेताओं को कहना है कि सरकार स्कूलों को उत्क्रमित कर भूल गई है कि वहां हाई स्कूल के हिसाब से संसाधन और स्ट्रेंथ उपलब्ध कराई जाय.
अनियमित वेतन के लिए पूरी तरह से स्टेट गवर्नमेंट जिम्मेवार है. गवर्नमेंट की प्राथमिकता में ही शिक्षा और छात्र नहीं हैं, तो वेतन कैसे रेग्यूलर मिलेगा. जब संगठनों का दबाव बढ़ता है तो वेतन दिया जाता है. सरकार पैसे का रोना रोती है, पर म्यूजियम, फ्लाई ओवर के लिए पैसा है.
-नवीन कुमार नवीन, प्रदेश उपाध्यक्ष, नव नियुक्तमाध्यमिक शिक्षक संघ
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