बांका। बांका प्रखंड में 50 से अधिक फर्जी शिक्षकों के इस्तीफा ने प्रखंड की शिक्षक बहाली पर सवाल खड़ा कर दिया है। आखिर जिला मुख्यालय समाहरणालय और डीपीओ स्थापना कार्यालय के समीप होने के बावजूद यहां शिक्षा माफियाओं का बड़ा रैकेट कैसे काम कर गया। प्रखंड में इस्तीफा देने वाले अधिकांश शिक्षक पिछले दो साल के दौरान बहाल हुए हैं। जानकारी के मुताबिक इसमें अधिकांश शिक्षकों का टीईटी प्रमाण पत्र फर्जी था। स्कैनिंग के जरिये फर्जी प्रमाण पत्र बना कर उनकी बहाली कर दी गयी।
हद यह कि, जिला नियोजन सेल में इन टीईटी प्रमाण पत्रों के क्रम को अमान्य करार देने के बाद भी नियोजन समिति ने ऐसे आवेदकों की बहाली कर दी। प्रखंड नियोजन समिति में प्रमुख अध्यक्ष तथा बीडीओ सचिव हुआ करते हैं। ऐसे में इन दोनों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा कि बांका प्रखंड के नियोजन कार्य में एक शिक्षा माफिया लंबे समय से सक्रिय है। इसकी पहुंच इतनी कि कार्यालय में अधिकारी और कर्मी की तरह बैठ इन कार्यो को निपटाते हैं। प्रखंड नियोजन कार्य में शामिल एक शिक्षक की पिछले महीने असामयिक मौत पर भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। उनकी मौत भी निगरानी जांच शुरू होने के बाद हुई है। जानकार बताते हैं कि बांका प्रखंड में इस्तीफा देने कई शिक्षक नियोजन कार्य में शामिल लोगों के रिश्तेदार हैं। इस्तीफा देने वालों में भी एक जाति के शिक्षकों की बहुलता है। यह जाति बहाली कार्य में शामिल लोगों से मिलती है। इस्तीफा सौंपने वाले कुछ शिक्षकों ने बताया कि कैंप में बहाली के दौरान नियोजन समिति में एक-एक शिक्षक से लाखों की वसूली की है। ऐसे में इस्तीफा प्रकरण समाप्त होने के बाद निगरानी जांच के दौरान नियोजन समिति पर भी आंच आनी स्वभाविक है। इसी तरह बांका के पंचायत नियोजन में भी सबसे अधिक फर्जीवाड़ा सामने आया है। रैनिया जोगडीहा पंचायत के नौ शिक्षकों ने एक साथ इस्तीफा सौंप दिया है। इससे पंचायत के कुछ विद्यालय शिक्षक विहीन हो गया है। इसकी निगरानी भी प्रखंड को करनी थी।
हद यह कि, जिला नियोजन सेल में इन टीईटी प्रमाण पत्रों के क्रम को अमान्य करार देने के बाद भी नियोजन समिति ने ऐसे आवेदकों की बहाली कर दी। प्रखंड नियोजन समिति में प्रमुख अध्यक्ष तथा बीडीओ सचिव हुआ करते हैं। ऐसे में इन दोनों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा कि बांका प्रखंड के नियोजन कार्य में एक शिक्षा माफिया लंबे समय से सक्रिय है। इसकी पहुंच इतनी कि कार्यालय में अधिकारी और कर्मी की तरह बैठ इन कार्यो को निपटाते हैं। प्रखंड नियोजन कार्य में शामिल एक शिक्षक की पिछले महीने असामयिक मौत पर भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। उनकी मौत भी निगरानी जांच शुरू होने के बाद हुई है। जानकार बताते हैं कि बांका प्रखंड में इस्तीफा देने कई शिक्षक नियोजन कार्य में शामिल लोगों के रिश्तेदार हैं। इस्तीफा देने वालों में भी एक जाति के शिक्षकों की बहुलता है। यह जाति बहाली कार्य में शामिल लोगों से मिलती है। इस्तीफा सौंपने वाले कुछ शिक्षकों ने बताया कि कैंप में बहाली के दौरान नियोजन समिति में एक-एक शिक्षक से लाखों की वसूली की है। ऐसे में इस्तीफा प्रकरण समाप्त होने के बाद निगरानी जांच के दौरान नियोजन समिति पर भी आंच आनी स्वभाविक है। इसी तरह बांका के पंचायत नियोजन में भी सबसे अधिक फर्जीवाड़ा सामने आया है। रैनिया जोगडीहा पंचायत के नौ शिक्षकों ने एक साथ इस्तीफा सौंप दिया है। इससे पंचायत के कुछ विद्यालय शिक्षक विहीन हो गया है। इसकी निगरानी भी प्रखंड को करनी थी।
बाक्स..धोरैया में बीआरसी में रातभर हेराफेरी
बांका : धोरैया बीआरसी पिछले तीन-चार दिनों से रात नौ बजे से खुल जाता है और सुबह चार बजे तक संचालित होता है। इससे धोरैया बाजार में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। जानकारों के मुताबिक बीआरसी कर्मी प्रतिनियुक्त शिक्षकों के साथ यहां रात भर काम कर रहे हैं। कई पंचायतों के मुखिया और पंचायत सचिव को भी वहां पहुंच रहे हैं। जानकारों के मुताबिक फर्जी शिक्षकों की जांच के लिए निगरानी टीम ने धोरैया के सभी शिक्षकों का सत्यापित प्रमाण पत्र मांगा है। लेकिन, धोरैया ने शिक्षकों का यह प्रमाण पत्र अब तक नहीं सौंपा है। बताया जा रहा है कि धोरैया में बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षक बहाल हुए है। रात को तैनात कर्मी इन्हीं कागजातों की हेराफेरी और गलत को सही करने में जुटे हैं।
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