पटना। हिन्दुस्तान ब्यूरो राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के गुणवत्ता संवद्र्धन तथा प्रशिक्षण के लिए राज्य कैबिनेट ने शुक्रवार को दो समझौता प्रारूपों को मंजूरी दी। 357 मिलियन डॉलर (लगभग 2234 करोड़ रुपए) की लागत से शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने वाली इस योजना के लिए 250 मिलियन राशि विश्व बैंक कर्ज के रूप में राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगा। 107 मिलियन राज्य सरकार अपने योजना मद से खर्च करेगी। विश्व बैंक के सहयोग से चलने वाली यह योजना वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक चलेगी।
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कैबिनेट के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि इस योजना का नाम ‘इनहैंसिंग टीचर इफेक्टिवनेस इन बिहार’ है। इस बाबत एक दिसंबर 2014 व 23 अप्रैल 2015 को विश्व बैंक के साथ बातचीत हुई थी। जिन दो प्रारूपों को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान की, उनमें एक वित्त पोषण समझौता तथा दूसरा इंप्लमेंटिंग इंटीटी समझौता है। इसके तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। प्रशिक्षण संस्थानों का निर्माण होगा। अप्रशिक्षित शिक्षकों को सामान्य एवं दूरस्थ माध्यम से ट्रेनिंग दी जाएगी।
इसके लिए राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण पर्षद (एससीईआरटी) के माध्यम से पाठ्यक्रम को तैयार कराया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए माडर्न साइंटिफिक टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा। सूचना एवं संचार तकनीक को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके लिए राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण पर्षद (एससीईआरटी) के माध्यम से पाठ्यक्रम को तैयार कराया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए माडर्न साइंटिफिक टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा। सूचना एवं संचार तकनीक को प्राथमिकता दी जाएगी।