विषय:-विभिन्न शिक्षक संघों को एक मंच पर लाने हेतु प्रयास के लिए बैठक में सम्मिलित होने के संबंध में,
निवेदन पूर्वक कहना है कि बिहार सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते #समान_काम_समान_वेतन और #राज्यकर्मी_का_दर्जा* नहीं दिया जाना कही न कही हम शिक्षकों के आपसी फूट का नतीजा है।
*आज 22 से भी ऊपर शिक्षक संघ है। सभी अपनी डफली-अपनी राग का धुन गा रहे हैं। मगर फिर भी हम नियोजित शिक्षक अपने मंज़िल और उद्देश्य से काफी दूर है।*
#नियोजित* शब्द एक #कलंक_का_टीका के रूप में हम सब के माथे से चिपक सा गया है।
इसके लिए बहुत से शिक्षक/शिक्षिकाएं हैं जो *फेसबुक, whatsapp या फिर जमीनी स्तर पर आवाज़ उठाते रहे है* कि जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हमारी मांगों को नहीं मानी जायेगी। क्योंकि हमलोगों ने 2015 में आंशिक ही सही जो सफलता ही पाई *(#चाइनीज़_वेतनमान_के_रूप_में)*वह भी सभी संघो के एक मंच पर आने का नतीजा है। हालाँकि सभी संघ और एकजुटता दिखाती तो शायद आज हम पूर्ण वेतनमान पा लिए होते। तो आज हमें उन संघों को एक करने की जरुरत नहीं पड़ती। मगर हम सभी जानते है कैसे निर्वर्तमान *बिहार सरकार और बिहार के शिक्षामंत्री ने चाल चल कर हमलोगों को तोड़ने का काम किया और हम टूट भी गए।* जिसका खामियाजा आज तक भुगतना पड़ रहा है। #आज भी शिक्षक को #सम्मान नहीं मिल रहा है।*
इस पर *कुछ #चिटपुटिया ने^^ ने चुटकी लेनी शुरू कर दी कि क्यों नहीं फेसबुकीया लोग ही आगे बढ़कर आतेे हैं और उन संघो को एक करते हैं??*
*कुछ फेसबुकिये को यह बात पसंद आ गई और विगत 5-6 दिनों से भी कम अवधि में एक कार्यक्रम तय कर दिया गया कि आप सभी प्रबुद्ध शिक्षक/शिक्षिका जो सभी संघों को एक साथ एक मंच देखना पसंद करते है और महासंघ के रूप में पूर्ण वेतनमान - समान काम, समान वेतनमान और राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने का जज्बा रखते हैं वो अपने विचार रखने हेतु निम्नलिखित कार्यक्रम है--*
22 जनवरी 2017 को
पटना के गांधी मैदान में
अपराह्न 03.00 बजे मिले।*
अतः आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त बातों पर विचार करते हुए *#नेतागिरी* से ऊपर उठकर *#निष्पक्ष रूप से आने को इक्छुक शिक्षक/शिक्षिकाएं जरूर आएं।* आपका स्वागत है।
धन्यवाद सहित आपका
*Tr Sanjeev Sameer*
बकटपुर, काँटी, मुज़0
निवेदन पूर्वक कहना है कि बिहार सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते #समान_काम_समान_वेतन और #राज्यकर्मी_का_दर्जा* नहीं दिया जाना कही न कही हम शिक्षकों के आपसी फूट का नतीजा है।
*आज 22 से भी ऊपर शिक्षक संघ है। सभी अपनी डफली-अपनी राग का धुन गा रहे हैं। मगर फिर भी हम नियोजित शिक्षक अपने मंज़िल और उद्देश्य से काफी दूर है।*
#नियोजित* शब्द एक #कलंक_का_टीका के रूप में हम सब के माथे से चिपक सा गया है।
इसके लिए बहुत से शिक्षक/शिक्षिकाएं हैं जो *फेसबुक, whatsapp या फिर जमीनी स्तर पर आवाज़ उठाते रहे है* कि जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हमारी मांगों को नहीं मानी जायेगी। क्योंकि हमलोगों ने 2015 में आंशिक ही सही जो सफलता ही पाई *(#चाइनीज़_वेतनमान_के_रूप_में)*वह भी सभी संघो के एक मंच पर आने का नतीजा है। हालाँकि सभी संघ और एकजुटता दिखाती तो शायद आज हम पूर्ण वेतनमान पा लिए होते। तो आज हमें उन संघों को एक करने की जरुरत नहीं पड़ती। मगर हम सभी जानते है कैसे निर्वर्तमान *बिहार सरकार और बिहार के शिक्षामंत्री ने चाल चल कर हमलोगों को तोड़ने का काम किया और हम टूट भी गए।* जिसका खामियाजा आज तक भुगतना पड़ रहा है। #आज भी शिक्षक को #सम्मान नहीं मिल रहा है।*
इस पर *कुछ #चिटपुटिया ने^^ ने चुटकी लेनी शुरू कर दी कि क्यों नहीं फेसबुकीया लोग ही आगे बढ़कर आतेे हैं और उन संघो को एक करते हैं??*
*कुछ फेसबुकिये को यह बात पसंद आ गई और विगत 5-6 दिनों से भी कम अवधि में एक कार्यक्रम तय कर दिया गया कि आप सभी प्रबुद्ध शिक्षक/शिक्षिका जो सभी संघों को एक साथ एक मंच देखना पसंद करते है और महासंघ के रूप में पूर्ण वेतनमान - समान काम, समान वेतनमान और राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने का जज्बा रखते हैं वो अपने विचार रखने हेतु निम्नलिखित कार्यक्रम है--*
22 जनवरी 2017 को
पटना के गांधी मैदान में
अपराह्न 03.00 बजे मिले।*
अतः आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त बातों पर विचार करते हुए *#नेतागिरी* से ऊपर उठकर *#निष्पक्ष रूप से आने को इक्छुक शिक्षक/शिक्षिकाएं जरूर आएं।* आपका स्वागत है।
धन्यवाद सहित आपका
*Tr Sanjeev Sameer*
बकटपुर, काँटी, मुज़0