पटना: केके पाठक साहब को अभी छुट्टी पर नहीं जाना चाहिए
था। महज चंद महीनों के कार्यकाल में उन्होंने अभिभावकों के बीच उम्मीद जगा
दी थी। स्कूल के लैब काम करने लगे थे। शिक्षक और छात्रों की उपस्थिति बढ़
गई थी। पढ़ाई शुरू हो गई थी। शिक्षा विभाग के अधिकारी समय से कार्यालय आने
लगे थे।
शिक्षक अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए थे। लापरवाही बरतने वाले
लोगों पर कार्रवाई हो रही थी। ये महज कुछ दिनों के एक्शन का परिणाम है।
पटना ग्रामीण इलाके के अभिभावक बंटी कुमार पान दुकान चलाते हैं। उनका बच्चा
सरकारी स्कूल में पढ़ता है। उन्हें इस बात का अफसोस है कि केके पाठक
छुट्टी पर चले गए हैं। ऐसे ही विचार कई अभिभावकों के हैं। उन्होंने एनबीटी
ऑनलाइन से बातचीत में बताया कि उन्होंने कई सुधार किए। जो पहले स्कूल और
शिक्षा संस्थानों में नहीं देखे गए। शिक्षक बताते हैं कि केके पाठक ने
स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाकर अच्छा काम किया। साफ-सफाई के लिए
पहली बार एजेंसी को सक्रिय कर दिया गया। पांच महीने के अंदर ढाई लाख
शिक्षकों की भर्ती करा देना। उसके बाद उन्हें समय पर सैलरी दिलवा देना। ये
सबके बस की बात नहीं थी।
केके पाठक की चिंता
केके
पाठक के छुट्टी पर जाने के बाद कई वैसे लोग चिंतित हैं, जो शिक्षा
व्यवस्था में सुधार देखना चाहते हैं। हालांकि, उनके लिए एक अच्छी खबर है।
हम आपको उसे विस्तार से बताते हैं। हुआ यूं कि 15 जनवरी, 1968 को हुआ है।
केके पाठक इस बार छुट्टी में ही अपना जन्मदिन मना रहे थे। इस बीच उनके
जन्मदिन पर उनके विश्वसनीय अधिकारियों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देने की
सोची। ये सभी अधिकारी केके पाठक से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। वहां जो
हुआ, उसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। हैरानी इसलिए, क्योंकि केके
पाठक पूरी तरह एक्टिव हैं। उनकी नजर बिहार शिक्षा विभाग और बीपीएससी से
बहाल होने वाले शिक्षकों पर लगातार बनी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के
मुताबिक फूलों का गुलदस्ता लेकर पहुंचे अधिकारियों को केके पाठक ने जो
कहा-उसके बारे में जानकर आप भी चौंक जाएंगे। केके पाठक के जन्मदिन पर बधाई
देने जो लोग गए थे। उन्होंने बाहर आकर जो जानकारी दी, उसके मुताबिक केके
पाठक पूरी तरह चिंता में हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केके
पाठक ने अधिकारियों से कई तरह के सवाल जवाब किए।
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अंदर
से मिली जानकारी की मानें, तो बधाई देने वाले अधिकारियों को केके पाठक ने
कहा कि ये बताइए कि प्रथम चरण में बहाल हुए बीपीएससी शिक्षकों की जांच सही
तरीके से चल रही है कि नहीं। उसकी जांच ठीक तरीके से कराएं। बहुत गलत हुआ
है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि प्रथम चरण में
बहुत सारे फर्जी लोग बहाल हो गए हैं। उसके बाद उन्होंने बधाई देने वाले
अधिकारियों से जानना चाहा कि दूसरे चरण की पोस्टिंग की प्रक्रिया कैसे चल
रही है। जानकारी के मुताबिक जितने लोग बधाई देने के लिए पहुंचे थे। केके
पाठक ने उनसे बहाली के साथ शिक्षा विभाग से जुड़ी जानकारी लेते रहे।
हालांकि, केके पाठक ने इस दौरान ये कतई नहीं बताया और इशारा किया कि वे कब
तक शिक्षा विभाग में अपने पद पर योगदान देंगे। जन्मदिन पर बधाई देने पहुंचे
अधिकारियों ने जब केके पाठक से कहा कि आप कब तक योगदान करेंगे। कब तक
गाड़ी भेज दी जाएगी। घुमा-फिराकर शिक्षा विभाग के उनके विश्वसनीय अधिकारी
ये जानने में लगे रहे कि वो कब योगदान कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने इस बारे
में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। केके पाठक ने सबको गोलमोल जवाब
दिया और उन्हें बधाई स्वीकार कर वहां से विदा कर दिया।