गूसराय (begusarai) , 07 जून . बिहार (Bihar) के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर द्वारा अयोग्य शिक्षकों के बीपीएससी परीक्षा का बहिष्कार करने संबंधी बयान से शिक्षक समाज में काफी आक्रोश है. शिक्षक और विभिन्न शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री के इस बयान की तीखी निंदा की है.
बिहार (Bihar) माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय ने एक बयान में कहा है कि नौजवान अभ्यर्थियों को बिहार (Bihar) के शिक्षा मंत्री भ्रमित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. अभ्यर्थियों को सातवें चरण की नियुक्ति प्रक्रिया में शिक्षक पात्रता परीक्षा के परिणाम के परिप्रेक्ष्य में नियुक्ति के लिए सरकार आश्वासन दे चुकी थी.उन्हें किस गुनाह के कारण तीसरी बार बिहार (Bihar) लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है. लगता है कि सरकार समय पर नियुक्ति करना ही नहीं चाह रही है. केवल केन्द्रांश प्राप्ति की मजबूरी में सरकार सरकारी कर्मी के तर्ज पर नियुक्ति करने का दिखावा कर रही है.
उन्होंने कहा कि 2006 से नियुक्त शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष जिनकी सेवा 17 वर्षों से अधिक की है. उनके लिए सेवा संरक्षण का कोई प्रावधन अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 में नहीं देना तथा सरकारी कर्मी को देय वेतन संरचना के बदले एक तथाकथित वेतन संरचना की घोषणा गैर संवैधानिक एवं स्वेच्छाचारिता का द्योतक है.
इसलिए सरकार को शिक्षक संगठनों के साथ वार्त्ता कर विवेकपूर्ण फैसला लेना चाहिए. पूर्व से कार्यरत शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को बिना शर्त राज्यकर्मी घोषित करते हुए उन्हें सप्तम वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्यकर्मी को देय वेतन एवं सुविधा की घोषणा अविलंब होनी चाहिए. अन्यथा पूरे प्रदेश में शिक्षण व्यवस्था की अस्त व्यस्तता की संपूर्ण जिम्मेवारी बिहार (Bihar) सरकार की होगी. /चंदा