संवाद सहयोगी, जमुई : प्रत्येक पंचायत में हाईस्कूल की घोषणा तो पूरी हो गई लेकिन उद्देश्य की पूर्ति अब भी नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की योजना पर ग्रहण लग जा रहा है। गुरुवार को जागरण की पड़ताल खैरा प्रखंड अंतर्गत जीत झिंगोई पंचायत में हुई।
यहां उत्क्रमित उच्च विद्यालय प्रधानचक में नौवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई के लिए एक शिक्षक पर बच्चे आश्रित हैं। यहां के दूसरे शिक्षक नीरज कुमार दुबे प्रतिनियुक्ति पर हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसी व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेमानी होगी। एक शिक्षक पर ही बच्चों के नामांकन व निबंधन से लेकर अन्य कार्यों के निष्पादन की जिम्मेवारी है। लिहाजा वक्त से स्कूल का संचालन भी असंभव हो जाता है। गुरुवार को भी शिक्षक हरेराम कुमार 10:00 बजे के बाद विद्यालय पहुंचे। उसके बाद प्रार्थना सत्र प्रारंभ हुआ। इससे पहले 9:00 बजे से छात्र-छात्राओं के विद्यालय पहुंचने का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। इस बीच आदेशपाल नहीं होने के कारण विद्यालय की साफ सफाई की जिम्मेवारी का निर्वहन छात्र-छात्राओं द्वारा ही किया जा रहा था। वर्ग कक्ष में बैठने के लिए बेंच-डेस्क की जर्जर स्थिति से लेकर पंखा विहीन छत बच्चों के लिए कष्टकारी साबित होता है। शरारती तत्वों द्वारा चापाकल सहित विद्यालय की अन्य परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश का खामियाजा बच्चों को भुगतना होता है और पेयजल के लिए उन्हें विद्यालय से गांव जाना होता है। मध्य विद्यालय प्रधानचक के प्रधानाध्यापक के जिम्मे ही उक्त प्लस टू उच्च विद्यालय का भी प्रभार है। नतीजतन कागजी काम के लिए इकलौते शिक्षक हरेराम कुमार को इस विद्यालय से उस विद्यालय तक की दौड़ लगानी होती है। शिक्षक हरेराम कुमार ने बताया कि यहां नवमी और दसवीं कक्षा मिलाकर 220 बच्चे नामांकित हैं। इसके अलावा 12वीं कक्षा में 44 तथा 11वीं में अब तक 19 बच्चों का नामांकन हुआ है। हर दिन उपस्थिति की बात की जाए तो यह 20 फीसद से अधिक नहीं होती है। कुल मिलाकर यह कहें कि संसाधनों की उपलब्धता पर मानव संसाधन की कमी भारी पड़ रही है।Bihar Teachers News , BTET , BPSC , SSC , Shikshak Niyojan updates
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