पटना, जेएनएन। बिहार में शिक्षा विभाग ने शिक्षक
नियोजन के लिए नए नियम बनाए हैं जिसकी वजह से हजारो की संख्या में शिक्षक
अभ्यर्थी नियोजन से बाहर हो सकते हैं।
शिक्षा विभाग ने अपने प्राथमिक शिक्षक नियोजन नियमावली 2019 में बदलाव किया है जिसके कारण हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। अब ये अभ्यर्थी विभाग के अधिकारी से लेकर मंत्री तक गुहार लगा रहे हैं पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
बता दें कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने का सपना देखने वाले जिन छात्रों ने बीएड किया था उन्हें लगा कि वे कम से कम शिक्षक तो बन ही जाएंगे। लेकिन शिक्षा विभाग के नए नियम ने उनके सारे सपनों पर पानी फेर दिया है। अब शिक्षा विभाग के नए नियम के कारण हजारों अभ्यर्थी आने वाली नई वेकेंसी से बाहर हो जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के नियोजन के लिए 2019 में नई नियमावली की घोषणा की है। इसके तहत सामाजिक विज्ञान के शिक्षक बनने के लिए स्नातक में इतिहास या भूगोल का विषय होना अनिवार्य कर दिया गया है पर चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले 2011 और 2014 में हुई बहाली में ऐसी कोई बाध्यता नही रखी गई थी।
सरकार ने इतिहास और भूगोल के विषय की अनिवार्यता को शिथिल कर दिया था।
पहले एेसी बाध्यता नहीं थी। लेकिन विभाग के अचानक इस निर्णय ने शिक्षक
अभ्यर्थियों के पैरों से जमीन खिसका दी है। नई बहाली की घोषणा ने
अभ्यर्थियों की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
शिक्षा विभाग ने 2012 में नियमावली बनाई. 2014 में नियमावली में संशोधन कर अधिसूचना जारी की गई है। प्राथमिक शिक्षक के लिए इतिहास और भूगोल की अनिवार्यता ख़त्म कर दी गई है और नए नियमों के तहत ही नियुक्ति हुई। 2019 में नई नियमावली जारी की गई लेकिन अब इतिहास और भूगोल को अचानक अनिवार्य कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग के नए नियम के कारण अभ्यर्थियों को खासा परेशानी होने वाली
है। कई ऐसे छात्र भी हैं जिनकी आयु सीमा इस साल ख़त्म हो रही है।
नए नियमों से शिक्षा विभाग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल है कि आखिर शिक्षा विभाग ने अचानक नियम क्यों बदल लिया? नियम बदलने से पहले छात्रों को जानकारी क्यों नहीं दी गई? क्या नियमो के भेंट चढ़ जायेगा छात्रों का भविष्य? इस मामले में शिक्षा मंत्री क्यों संज्ञान नहीं ले रहे?
शिक्षा विभाग ने अपने प्राथमिक शिक्षक नियोजन नियमावली 2019 में बदलाव किया है जिसके कारण हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। अब ये अभ्यर्थी विभाग के अधिकारी से लेकर मंत्री तक गुहार लगा रहे हैं पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
बता दें कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने का सपना देखने वाले जिन छात्रों ने बीएड किया था उन्हें लगा कि वे कम से कम शिक्षक तो बन ही जाएंगे। लेकिन शिक्षा विभाग के नए नियम ने उनके सारे सपनों पर पानी फेर दिया है। अब शिक्षा विभाग के नए नियम के कारण हजारों अभ्यर्थी आने वाली नई वेकेंसी से बाहर हो जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के नियोजन के लिए 2019 में नई नियमावली की घोषणा की है। इसके तहत सामाजिक विज्ञान के शिक्षक बनने के लिए स्नातक में इतिहास या भूगोल का विषय होना अनिवार्य कर दिया गया है पर चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले 2011 और 2014 में हुई बहाली में ऐसी कोई बाध्यता नही रखी गई थी।
शिक्षा विभाग ने 2012 में नियमावली बनाई. 2014 में नियमावली में संशोधन कर अधिसूचना जारी की गई है। प्राथमिक शिक्षक के लिए इतिहास और भूगोल की अनिवार्यता ख़त्म कर दी गई है और नए नियमों के तहत ही नियुक्ति हुई। 2019 में नई नियमावली जारी की गई लेकिन अब इतिहास और भूगोल को अचानक अनिवार्य कर दिया गया है।
नए नियमों से शिक्षा विभाग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल है कि आखिर शिक्षा विभाग ने अचानक नियम क्यों बदल लिया? नियम बदलने से पहले छात्रों को जानकारी क्यों नहीं दी गई? क्या नियमो के भेंट चढ़ जायेगा छात्रों का भविष्य? इस मामले में शिक्षा मंत्री क्यों संज्ञान नहीं ले रहे?