मोतिहारी। अब वह समय दूर नहीं जब जिले के चर्चित 24 फर्जी शिक्षक फर्जीवाड़ा
मामले का पर्दाफाश हो जाएगा। सभी फर्जी 24 शिक्षक निगरानी के हत्थे चढ़ने
वाले हैं। जांच अब निष्कर्स के करीब पहुंच चुकी है। इसी के साथ वे भी
बेनकाब होंगे जो इस कृत्य को अंजाम दिया था।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी सह मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र के प्रभारी कामोद प्रसाद ने बताया कि एक शिक्षक को चिन्हित कर लिया गया है। अभी उसकी पहचान को लेकर हम गोपनीयता बरत रहे हैं। उसके पकड़ में आते ही सभी फर्जी शिक्षकों की पहचान सामने आ जाएगी। बता दें कि स्थानांतरण के माध्यम से 24 फर्जी शिक्षकों को अवैध रूप में घुसपैठ कराया गया था। मामला वर्ष 2000 का है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो इस मामले की जांच कर रही है। निगरानी का दावा है कि अब हम निष्कर्ष के करीब हैं। शीघ्र ही मामले का पर्दाफाश कर लिया जाएगा। इस प्रकरण को लेकर निगरानी की टीम गत वर्ष 23 अक्टूबर एवं पांच नवंबर को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय की स्थापना प्रशाखा को खंगालने का काम कर चुकी है। निगरानी को आशंका है कि इसमें विभागीय मिलीभगत भी हो सकती है। सभी कोणों से मामले की पड़ताल जारी है। बैंकों से भी लिए थे ऋण उन फर्जी शिक्षकों ने शिक्षा विभाग को लाखों का चूना लगाया ही, साथ ही बैकों से भी ऋण उड़ाने में पीछे नहीं रहे। यह बात निगरानी की जांच में सामने आ चुकी है। इस संबंध में निगरानी डीएसपी ने बताया कि बैंकों से ऋण का डिटेल लिया गया है। चूंकि बात पुरानी हो चुकी है इसलिए संबंधित दस्तावेजों को निकालने में थोड़ी परेशानी हो रही है। मगर अब हम सच्चाई के करीब पहुंच चुके हैं। बहुत जल्द इस गुत्थी को सुलझा लिया जाएगा। डीएसई ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी बात खुलने पर वर्ष 2003 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक ओम प्रकाश शुक्ला ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मगर जांच किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी। इस मामले को वर्ष 2005 में निगरानी के हवाले कर दिया गया। उनके पास ऐसे 16 शिक्षकों की सूची थी, जिनके नाम पर वेतन भुगतान वर्ष 2000 से 2002 तक होता रहा। चूंकि फर्जी नाम व पते से घुसपैठ की गई थी, इसलिए जब इन शिक्षकों के नाम व पते की जांच निगरानी की टीम ने की तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला। जब वे जांच के लिए स्थापना कार्यालय में पहुंचे तो पता चला कि ऐसे शिक्षकों की संख्या 16 नहीं बल्कि 24 है। पांच प्रखंडों में हुआ था योगदान स्थानांतरण आदेश पर जिले के पांच स्थानों पर उनका योगदान कराया गया था। उनमें आदापुर, छौड़ादानो, घोड़ासहन, जितना एवं कुंडवा चैनपुर शामिल हैं। अकेले आदापुर में दस शिक्षकों का योगदान कराया गया था। इनके नाम संजय कुमार, विकास कुमार, अभय कुमार, राजीव कुमार सिंह, पवन कुमार, जितेंद्र प्रसाद, प्रमोद कुमार, राम प्रकाश साह, पप्पू कुमार एवं सुरेंद्र सिंह शामिल हैं। निगरानी जांच में इनके नाम और पते का सत्यापन नहीं हो सका था। इनसे संबंधित सर्विस बुक भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। निगरानी का मानना है कि इस गुत्थी के सुलझते ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। साथ कई पदाधिकारी व कर्मी भी इसके गिरफ्त में होंगे। यह है मामला फर्जीवाड़े का यह मामला वर्ष 2000 से 2002 तक का है। इस मामले में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा जारी स्थानांतरण पत्र के आलोक में संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा 24 शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में योगदान कराते हुए इसकी सूचना डीएसई कार्यालय को दी गई थी। वास्तव में उन 24 शिक्षकों ने अपना फर्जी नाम व पता दर्ज कराया था। यह बात निगरानी की छानबीन में भी सामने आ चुकी है। इन शिक्षकों ने इस अवधि में वेतन भी लिया था। सरकार के लाखों रुपये का चूना लगाया है। वेतन भुगतान की प्रक्रिया में कौन-कौन लोग शामिल थे। इन बिंदुओं की भी जांच हो रही है। अन्य दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है। वर्जन : अब हम सच्चाई के करीब आ गए हैं। शीघ्र ही निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे। एक शिक्षक को चिन्हित कर लिया गया है। वेरीफिकेशन की कार्रवाई चल रही है। शीघ्र ही शेष फर्जी शिक्षक भी हमारी पकड़ में होंगे। इस मामले के अन्य दोषी भी बेनकाब होंगे। - कामोद प्रसाद, उपाधीक्षक, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी सह मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र के प्रभारी कामोद प्रसाद ने बताया कि एक शिक्षक को चिन्हित कर लिया गया है। अभी उसकी पहचान को लेकर हम गोपनीयता बरत रहे हैं। उसके पकड़ में आते ही सभी फर्जी शिक्षकों की पहचान सामने आ जाएगी। बता दें कि स्थानांतरण के माध्यम से 24 फर्जी शिक्षकों को अवैध रूप में घुसपैठ कराया गया था। मामला वर्ष 2000 का है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो इस मामले की जांच कर रही है। निगरानी का दावा है कि अब हम निष्कर्ष के करीब हैं। शीघ्र ही मामले का पर्दाफाश कर लिया जाएगा। इस प्रकरण को लेकर निगरानी की टीम गत वर्ष 23 अक्टूबर एवं पांच नवंबर को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय की स्थापना प्रशाखा को खंगालने का काम कर चुकी है। निगरानी को आशंका है कि इसमें विभागीय मिलीभगत भी हो सकती है। सभी कोणों से मामले की पड़ताल जारी है। बैंकों से भी लिए थे ऋण उन फर्जी शिक्षकों ने शिक्षा विभाग को लाखों का चूना लगाया ही, साथ ही बैकों से भी ऋण उड़ाने में पीछे नहीं रहे। यह बात निगरानी की जांच में सामने आ चुकी है। इस संबंध में निगरानी डीएसपी ने बताया कि बैंकों से ऋण का डिटेल लिया गया है। चूंकि बात पुरानी हो चुकी है इसलिए संबंधित दस्तावेजों को निकालने में थोड़ी परेशानी हो रही है। मगर अब हम सच्चाई के करीब पहुंच चुके हैं। बहुत जल्द इस गुत्थी को सुलझा लिया जाएगा। डीएसई ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी बात खुलने पर वर्ष 2003 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक ओम प्रकाश शुक्ला ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मगर जांच किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी। इस मामले को वर्ष 2005 में निगरानी के हवाले कर दिया गया। उनके पास ऐसे 16 शिक्षकों की सूची थी, जिनके नाम पर वेतन भुगतान वर्ष 2000 से 2002 तक होता रहा। चूंकि फर्जी नाम व पते से घुसपैठ की गई थी, इसलिए जब इन शिक्षकों के नाम व पते की जांच निगरानी की टीम ने की तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला। जब वे जांच के लिए स्थापना कार्यालय में पहुंचे तो पता चला कि ऐसे शिक्षकों की संख्या 16 नहीं बल्कि 24 है। पांच प्रखंडों में हुआ था योगदान स्थानांतरण आदेश पर जिले के पांच स्थानों पर उनका योगदान कराया गया था। उनमें आदापुर, छौड़ादानो, घोड़ासहन, जितना एवं कुंडवा चैनपुर शामिल हैं। अकेले आदापुर में दस शिक्षकों का योगदान कराया गया था। इनके नाम संजय कुमार, विकास कुमार, अभय कुमार, राजीव कुमार सिंह, पवन कुमार, जितेंद्र प्रसाद, प्रमोद कुमार, राम प्रकाश साह, पप्पू कुमार एवं सुरेंद्र सिंह शामिल हैं। निगरानी जांच में इनके नाम और पते का सत्यापन नहीं हो सका था। इनसे संबंधित सर्विस बुक भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। निगरानी का मानना है कि इस गुत्थी के सुलझते ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। साथ कई पदाधिकारी व कर्मी भी इसके गिरफ्त में होंगे। यह है मामला फर्जीवाड़े का यह मामला वर्ष 2000 से 2002 तक का है। इस मामले में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा जारी स्थानांतरण पत्र के आलोक में संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा 24 शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में योगदान कराते हुए इसकी सूचना डीएसई कार्यालय को दी गई थी। वास्तव में उन 24 शिक्षकों ने अपना फर्जी नाम व पता दर्ज कराया था। यह बात निगरानी की छानबीन में भी सामने आ चुकी है। इन शिक्षकों ने इस अवधि में वेतन भी लिया था। सरकार के लाखों रुपये का चूना लगाया है। वेतन भुगतान की प्रक्रिया में कौन-कौन लोग शामिल थे। इन बिंदुओं की भी जांच हो रही है। अन्य दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है। वर्जन : अब हम सच्चाई के करीब आ गए हैं। शीघ्र ही निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे। एक शिक्षक को चिन्हित कर लिया गया है। वेरीफिकेशन की कार्रवाई चल रही है। शीघ्र ही शेष फर्जी शिक्षक भी हमारी पकड़ में होंगे। इस मामले के अन्य दोषी भी बेनकाब होंगे। - कामोद प्रसाद, उपाधीक्षक, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो