पटना : संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष इकाई यूएनएफपीए (यूनाइटेड नेशन्स
पॉपुलेशन फंड) ने बिहार के मदरसों की शिक्षा में रचनात्मक बदलाव के लिए
बुधवार को इस्लामी विद्वानों और मदरसा शिक्षा के विशेषज्ञों के समक्ष
सिलेबस का नया मॉड्यूल रखा. उनकी राय चाही गयी.
इस दौरान मॉड्यूल की मंशा को उपस्थित विशेषज्ञों ने खूब सराहा. इसे
क्रांतिकारी और सामयिक जरूरत भी बताया. मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल
क्यूम अंसारी और बिहार सरकार के शीर्ष अफसरों ने स्पष्ट किया कि प्रोजेक्ट
को राज्य सरकार ने न केवल स्वीकार किया है, बल्कि कानूनी वैधता का जामा
भी पहना दिया है, ताकि भविष्य में अड़चन न आये. सेमिनार के दौरान मॉड्यूल
का विस्तार से प्रेजेंटेशन दिया गया.
बिहार के विकास में अहम साबित होगा यह बदलाव
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल क्यूम अंसारी ने कहा कि 1920 के बाद
मदरसों के स्वरूप में बदलाव की ये कोशिश न केवल समाज बल्कि बिहार के विकास
में अहम साबित होगी.
इस दौरान उन्होंने मदरसा शिक्षा में दी जा रही सुविधाओं का भी जिक्र
किया. उन्होंने बताया कि जल्दी ही मदरसों में शिक्षकों की कमी पूरी की
जायेगी. बिहार सरकार में रिसर्च एंड ट्रेनिंग डायरेक्टर विनोदानंद झा ने इस
योजना को मदरसों के लिए प्रस्तावित योजना बताया, जो मुस्लिम समाज की दशा
और दिशा बदल देगी.
शिक्षा विभाग के स्पेशल डायरेक्टर तन्सीमुर रहमान ने कहा कि पूरी
उम्मीद है कि प्रस्तावित यह मॉड्यूल कुरान और हदीस की रोशनी में बनाया गया
होगा. इस दौरान बीपीएससी के पूर्व सदस्य शफी मशादी, यूनएफपीए के चीफ अफसर
नदीम नूर आदि थे.