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कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के वकील ने कहा- पैसों का रोना न रोएं, समान वेतन के लिए टैक्स भी लगाना पड़े तो लगाएं

राज्य के 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में 11वें दिन भी सुनवाई अधूरी रही। न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की खंडपीठ ने दोपहर 12 से एक बजे तक सुनवाई की। अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा- सरकार रुपए की कमी का रोना न रोएं, समान काम के बदले समान वेतन देने के लिए टैक्स भी लगाना पड़े तो लगाएं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने में आवश्यक राशि जुटाने के लिए राज्य सरकार को टैक्स लगाने का अधिकार है।

कोर्ट ने पूछा- बिहार व अन्य राज्यों के नियोजित शिक्षकों में क्या अंतर है? सिब्बल ने कहा- समान वेतन नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। एनसीटीई के मानक के अनुरूप उनकी बहाली हुई है। राज्य सरकार ने दक्षता परीक्षा ली है। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का ही शिक्षक में नियोजन किया गया है। सरकार ने 2015 में नियोजित शिक्षकों को वेतनमान भी दिया है। अब समान वेतन देने से पीछे क्यों हट रही है? आर्थिक संसाधन जुटाना सरकार का दायित्व है।

कल फिर होगी सुनवाई

...तो अन्य राज्यों में भी उठेगा मुद्दा

इसके पहले कई बार केंद्र और राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा था कि समान वेतन देने की आर्थिक स्थिति नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कोर्ट को बताया कि अपना पक्ष लिखित और मौखिक रूप में दोनों पहले ही रख दिया है। समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार पर पड़ेगा, जो वहन करना संभव नहीं है। बिहार में शिक्षकों को समान वेतन देने पर अन्य राज्यों से भी यह मुद्दा उठेगा। राज्य सरकार की ओर से सीनियर वकील श्याम दीवान ने कहा- एक छत के नीचे पढ़ाने के कारण ही नियोजित शिक्षक समान वेतन मांग रहे हैं। राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। सरकार ने पिछले 11 वर्षों में शिक्षकों 7 गुना से अधिक वेतन में बढ़ोतरी हुई। आगे भी बढ़ोतरी जारी रहेगी।

कई योजनाएं करनी पड़ेंगी बंद

इसके पहले राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने पर साइकिल, पोशाक और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को बंद करनी होगी। पिछले सुनवाई में सरकार ने कोर्ट से कहा था कि पुराने नियमित शिक्षकों के रिटायरमेंट के साथ ही पद भी समाप्त किया जा रहा है। सरकार लगातार कोर्ट में तर्क दे रही है कि नियोजित शिक्षक सरकारी कर्मी नहीं हैं। इनका नियोजन पंचायत और नगर निकायों के विभिन्न नियोजन इकाइयों के माध्यम से की गई है। सरकार ने कहा कि समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा।

जुलाई, 2015 से ही वेतनमान

जुलाई, 2015 से ही शिक्षकों को वेतनमान दिया जा चुका है। 2015 में 14 और 2017 में लगभग 17 प्रतिशत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी भी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, सहायक निदेशक अमित कुमार, प्रारंभिक परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के आनंद मिश्र, जयकांत धीरज, प्रदीप कुमार पप्पू, डॉ. कृतंजय चौधरी आदि मौजूद थे।

संघ ने कहा- शिक्षकों की जीत सुनिश्चित है : टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक एवं प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने बताया- सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई साफ इशारा करती है कि शिक्षकों की जीत सुनिश्चित है।

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