2019 में अभ्यर्थियों की बीएसटीईटी की वैधता भी समाप्त हो जाएगी। ऐसे में यदि इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं होती है तो उन्हें फिर से बीएसटीईटी परीक्षा पास करनी होगी। फिलहाल 2012 के बाद बीएसटीईटी की परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया।
तीन से अधिक चरणों में 17 हजार शिक्षकों की हो चुकी है नियुक्ति
प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन से अधिक चरणों में हुई। हाईस्कूल और प्लस टू में बच्चों को पढ़ाने के लिए लगभग 17 हजार शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें साइंस की जगह कला वर्ग के शिक्षकों की नियुक्ति अधिक हुई है। पद खाली होने के बाद भी गणित, विज्ञान और अंग्रेजी शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। 2017 में ही 19502 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए फॉर्म निकलना था। साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन का मामला कोर्ट में होने की वजह से नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। नियुक्त शिक्षकों को पहले दो साल में 12 हजार रुपए, फिर उसके बाद उनका मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपए कर दिया गया है। इसके बाद भी प्रदेश के एसटीईटी पास 53500 अभ्यर्थी बेरोजगार हैं। 2019 में पास अभ्यर्थियों की मार्कशीट का कोई महत्व नहीं रहेगा। फिलहाल अभी तक 2012 के बाद फिर से बीएसटीईटी का आयोजन नहीं किया गया है।
प्रदेश में हाईस्कूल व प्लस टू स्तर पर लगभग 19 हजार शिक्षकों की कमी है
2012 में पास हैं अभ्यर्थी
देश में बिहार ही ऐसा राज्य है जहां पर प्राइमरी, माध्यमिक के लिए टीईटी की तरह ही हाईस्कूल और प्लस टू में नियुक्ति के लिए बीएसटीईटी परीक्षा का आयोजन किया गया था। जुलाई 2011 में बीएसटीईटी परीक्षा के लिए आवेदन फॉर्म निकला था। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 150 रुपए और आरक्षित वर्ग के लिए 75 रुपए फी जमा करनी थी। परीक्षा में लगभग 12 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। नवंबर 2011 में परीक्षा हुई थी। उसके बाद रिजल्ट नहीं निकलने की वजह से छात्रों ने हंगामा किया। अभ्यर्थियों के हंगामे के बाद जून 2012 में रिजल्ट निकला। इसमें 68,500 अभ्यर्थी परीक्षा में पास हुए थे। परीक्षा पास होने के बाद नियुक्ति में छह माह से अधिक समय बीत गए पर प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। बीएसटीईटी पास अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ ही मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री से लगातार मांग की। इसके बाद शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई। बीएसटीईटी रिजल्ट के बाद 2012 में 17,500 पदों पर हाई स्कूल में और 17,587 प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की बहाली होनी थी, लेकिन कई चरणों के बाद भी यह पूरी नहीं हुई। अंतिम भर्ती 2016 में हुई थी। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह ठप है । ऐसे में यदि शिक्षकों की भर्ती फिर से शुरू नहीं हुई तो 2012 में पास अभ्यर्थियों की मॉर्कशीट की वैधता 2019 में समाप्त हो जाएगी।
5700 स्कूलों में शिक्षकों की कमी, पढ़ाई पर असर
बिहार में हाईस्कूल और प्लस टू स्तर के पूरे प्रदेश में लगभग नौ हजार स्कूल हैं। इसमें 33 सौ विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति है, बांकी 53 सौ स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। प्रदेश में हाईस्कूल और प्लस टू स्तर पर लगभग 19 हजार शिक्षकों की कमी है। इसमें लगभग 65 सौ शिक्षकों को हाईस्कूल में और 12 हजार शिक्षकों की प्लस टू में आवश्यकता है। ऐसे में हाईस्कूल और प्लस टू स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी जूनियर क्लास के शिक्षक या फिर बीएड, एमएड कर रहे छात्र उठा रहे हैं।
प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है
प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने लिए शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां पर होने वाली समस्या दूर की जाएगी।  कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, शिक्षा मंत्री