सत्यापन के लिए पुलिस सभी से पूछताछ करेगी। तिवारी का साथ देने वाले कुछ बोर्ड कर्मी जेल में भी हैं। मूल रूप से औरंगाबाद का रहने वाला तिवारी पटना के रूपसपुर में रहकर 10 साल से बिहार बोर्ड में दलाली कर रहा है। उसने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। दलाली के पैसे से आलीशान मकान बनवाया है और करोड़ों की जमीन भी राजधानी में अर्जित की है। एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि तिवारी की संपत्ति की जांच करवाई जाएगी। इसके लिए ईओयू को पत्र लिखा जाएगा। अन्य दलालों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। जांच में यह बात सामने आई है कि तिवारी ने 100 अयोग्य अभ्यर्थी को पैसे लेकर बहाल करवाया था। हर अभ्यर्थी से लगभग 5 लाख रुपए लिए जाते थे। इसमें 1 लाख तिवारी रखता था और 4 लाख बोर्ड के अधिकारी को देता था। तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह बोर्ड के सहायक प्रोग्रामर अमितेश और आईटी प्रभारी अमित को प्रति अभ्यर्थी चार लाख रुपए देता था। इसके एवज में दोनों कंप्यूटर के डेटा में हेरफेर कर फेल अभ्यर्थी को पास करवा देते थे। इसी तरह वह अभिलेखागार प्रभारी जटाशंकर और बोर्ड के बेगूसराय प्रशाखा के प्रभारी राजेश रंजन के संपर्क में भी था। हालांकि मीडिया से बात करते हुए तिवारी ने कहा कि उसने मात्र 17 लोगों को बहाल करवाया है। इससे उसने 20 लाख रुपए अर्जित की है।
शिक्षक भर्ती घोटाला
एक काॅलेज के प्रिंसिपल ने कराई थी जान-पहचान
तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह लगभग दस साल पहले अपने जिले के एक वित्तरहित काॅलेज के प्रिंसिपल के साथ बोर्ड ऑफिस आया था। इसी दौरान उसकी जान-पहचान बोर्ड के कुछ अधिकारियों से हुई थी। उसने कहा कि उसने तब काॅलेज का काम पैसे देकर करवाया था। इसके बाद वह पटना ही रह गया और बोर्ड में दलाली करने लगा।
बोर्ड कर्मी सहित 11 हो चुके हैं गिरफ्तार, कई निशाने पर
इस मामले में पुलिस अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। तिवारी के अलावा पुलिस बोर्ड के कर्मी जटाशंकर, अमितेश, सुजीत, अमित, राजेश रंजन, शिक्षिका सुमन कुमारी, पूजा भारती, श्वेता, पूजा के पति अरुण को गिरफ्तार कर चुकी है। मालूम हो कि निगरानी ने 12 जुलाई को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तिवारी ही शिक्षक भर्ती घोटाले का सबसे बड़ा दलाल है। उसने फर्जी बहाली के मास्टरमाइंड और आईटी शाखा के प्रभारी रहे अमित को साथ लेकर बड़े पैमाने पर बहाली में धांधली की थी।
साहेबपुर कमाल के बीईओ ने दिए थे सारे अभ्यर्थी
पूछताछ के दौरान तिवारी ने खुलासा किया कि उसने सिर्फ बेगूसराय जिले के अयोग्य शिक्षकों से पैसे लेकर ही बहाल करवाया है। उसने कहा कि साहेबपुर कमाल के एक बीईओ का आना-जाना बोर्ड ऑफिस होता था और बोर्ड में ही उसकी जान पहचान हुई। इसके बाद बीईओ ने ही उसकी जान-पहचान बेगूसराय के दलाल दीपक से करवाई थी। बलिया के बोर्ड पार्षद के बेटे दीपक और उसके दोस्त मुकेश के साथ मिलकर उसने कई अयोग्य शिक्षकों को बहाल करवाया है।
दीपक-माइकल समेत 3 की गिरफ्तारी के लिए छापे
दीपक और मुकेश की गिरफ्तारी के लिए कोतवाली थाने की पुलिस गुरुवार को बेगूसराय के कई इलाकों में लगातार छापेमारी की। बलिया, साहेबपुर कमाल, बरौनी सहित कुछ ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान दीपक के परिजनों से भी पुलिस पूछताछ की। इधर पटना में बोर्ड कर्मी माइकल फ्रांसिस को भी पुलिस तलाश रही है। पटना स्थित उसके आवास पर जाकर पुलिस ने उसके घर वालों से भी पूछताछ की। माइकल के अलावा पुलिस बोर्ड के अरविंद, अरुण को भी तलाश रही है।