जस्टिस एएम सप्रे और यूयू ललित की पीठ ने गुरुवार को तीन घंटे से ज्यादा सुनवाई की। शिक्षकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल, पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और आर्यामा सुंदरम ने बहस की। उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षक नियमित शिक्षकों के समान ही काम कर रहे हैं। उनकी योग्यताएं भी एक जैसी हैं, ऐसे में सरकार उन्हें वेतन कम कैसे दे सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए आए कोष में से पूरा कभी इस्तेमाल नहीं किया। जब सरकार कोष इस्तेमाल नहीं कर रही है तो वह यह कैसे कह सकती है कि उसके पास शिक्षकों को देने के लिए अतिरिक्त कोष नहीं है।
राज्य सरकार ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि उसे शिक्षकों को वेतन देने के लिए 52 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त धन की दरकार होगी। मामले में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुरिक्षत रख लेगा।