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शिक्षकों पर भारी पड़ रहा फर्जी उपस्थिति का खेल

कटिहार। सरकारी विद्यालयों में बच्चों का फर्जी नामांकन कर उपस्थिति में गड़बड़ी और मध्याह्न भोजन योजना में बरती गई अनियमितता अब शिक्षकों पर भारी पड़ने लगी है।

बता दें कि विद्यालय में स्कूली बच्चों के आधार की अनिवार्यता के बाद औसत नामांकन और उपस्थिति का ग्राफ गिरने के बाद इसकी पड़ताल तेज कर दी गई है। इसको लेकर शत प्रतिशत बच्चों को स्कूल से जोड़ने और पोषक क्षेत्र के सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित कराने को लेकर लगातार निर्देश दिया जा रहा है, लेकिन शिक्षकों को बच्चे ढ़ूंढे नहीं मिल पा रहे हैं। वास्तव में वर्षों से इन बच्चों का फर्जी नामांकन दिखाकर गोलमाल किया जा रहा था।

विभागीय स्तर पर सख्ती के बाद बच्चों की संख्या अचानक कम होने से विभाग पर सवाल खड़ा हो गया है। इसको लेकर विभागीय स्तर पर बच्चों को ढ़ूंढने और उन्हें विद्यालय से जोड़ने के निर्देश के बाद भी उपस्थिति और नामांकन की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। इससे शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ने लगी है। बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2017-18 में विभागीय आंकड़ों के अनुसार कक्षा एक से आठ तक नामांकित बच्चों की संख्या 550238 थी। इसमें वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में कुल 459769 बच्चे मूल्यांकन परीक्षा में शामिल हुए थे। जबकि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में हुई मूल्यांकन परीक्षा में 445761 बच्चे ही मूल्यांकन परीक्षा में शामिल हुए थे। इससे विद्यालयों में नामांकन और उपस्थिति के अनुपात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
डीएम ने डिजीटल उपस्थिति की व्यवस्था का दिया निर्देश :

बता दें कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति कम रहने को लेकर शिक्षा विभाग की समीक्षात्मक बैठक में जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए बच्चों की औसत उपस्थिति में सुधार का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने शत प्रतिशत नामांकित बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के साथ ही पोषक क्षेत्र के सभी बच्चों को विद्यालय से जोड़ने का निर्देश दिया है। नामांकन और उपस्थिति में गड़बड़ी की संभावना को लेकर डीएम ने उपस्थिति में सुधार को लेकर डिजीटल सिस्टम की व्यवस्था शीघ्र करने को लेकर डीईओ को निर्देशित किया है। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही एमडीएम व शिक्षकों की उपस्थिति के साथ ही बच्चों की उपस्थिति में हेरफेर पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। लेकिन विद्यालय से गायब बच्चों की पड़ताल करने में विभाग का पसीना छूट रहा है और उन्हें वरीय पदाधिकारियों की फटकार सुननी पड़ रही है। वर्षों से उपस्थिति में हेरफेर अब शिक्षक और पदाधिकारियों के लिए भारी पड़ रहा है।

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