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महज छह शिक्षकों से मवि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की होती कल्पना

बेतिया। विभाग बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का जो दावा कर रही है। स्थानीय प्रखंड के विद्यालयों में उन दावों की तहक़ीक़ात करने जब जागरण टीम राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय घोड़पकड़ी पहुंची तो पाया कि सर्वप्रथम आधारभूत संरचनाओं की कमी यहां बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर असर दिखाती है।
सातवीं और आठवीं के बच्चों से जब कुछ सवाल किए गए तो एक दूसरे के बगल में झांकने लगे। हालांकि कुछ बच्चों ने सही जवाब भी दिया। मध्य विद्यालय होने के बावजूद महज 6 शिक्षक पदस्थापित हैं। उनमें भी प्रधान शिक्षक को एमडीएम संचालन से लेकर अन्य विभागीय कार्यों में भी व्यस्तता होती है। ऐसे में 5 शिक्षकों के भरोसे यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दवा कितना असर दिखाता है यह तो एक वर्ग कक्ष में दो वर्गों के संचालन से ही पता चल जाता है। इस बीच यदि किसी बच्चे को शौच की जरूरत महसूस हो तो फिर विद्यालय से बाहर सरेह में ही जाना पड़ेगा, क्योंकि यहां शौचालय में ताला लगा रहता है। इस वजह उस बच्चे का समय जाया होता है। शौचालय के अंदर क्या स्थिति है यह तो विद्यालय के शिक्षक ही बता सकते हैं। विद्यालय का माहौल, शिक्षकों की संख्या और बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक पहलुओं पर जब नजर दौड़ाई गई तो पाया गया की सचमुच यहां सरकारी शिक्षा वाली व्यवस्था ही कायम है। जिसे लोग गांव मोहल्लों में सरकारी व्यवस्था कह कर उपमा देते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के पीछे समय-समय पर विद्यालय का निरीक्षण नहीं होना भी समझा जा रहा है। हालांकि उपस्थित शिक्षकों ने अपने स्तर से बच्चों की पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने और व्यवस्थित विद्यालय संचालन के दावे कर रहे हैं। मगर भवन और शिक्षकों की कमी यहां शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में बाधक बनी हुई है।

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