जागरण संवाददाता, बेगूसराय : एक चपरासी से भी कम वेतन में शैक्षणिक
कार्य अंजाम देने वाले सूबे के नियोजित शिक्षकों में सुप्रीम कोर्ट का रुख
देख खुशी की लहर दौड़ गई है। शिक्षकों को अब उम्मीद होने लगी है कि उन्हें
भी सम्मानजनक वेतन मिलेगा और वे भी आर्थिक सबलता के साथ देश के भविष्य को
बेहतर ढंग से संवारने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन कर सकेंगे। 15 मार्च
को सुप्रीम कोर्ट से मिली सकारात्मक आहट ने नियोजित शिक्षकों में उत्साह का
संचार कर दिया है।
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष साकेत सुमन और प्रधान
सचिव रामकल्याण पासवान ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि नियोजित
शिक्षकों को उच्चतम न्यायालय पर पूरा विश्वास है, हमें हर हाल में इंसाफ
मिलेगी। वैसे संघ ने देश के प्रख्यात अधिवक्ता कपिल सिब्बल को अपना पक्ष
रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रखा हुआ है। वहीं, माध्यमिक शिक्षक संघ के
जिलाध्यक्ष उमानंद चौधरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षकों
में काफी हर्ष है। हम लोगों ने हमेशा कोशिश की है कि शिक्षक को सिर्फ
शिक्षक रखा जाए, उसे नियमित या नियोजित में बांटने के पक्ष में न तो
माध्यमिक शिक्षक संघ है और न ही प्राथमिक शिक्षक संघ। उन्होंने बताया कि
माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से भी उच्चतम न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए
देश के चु¨नदा वकीलों का सहारा लिया गया है। इधर, माध्यमिक शिक्षक संघ के
नगर सचिव रंधीर कुमार के नेतृत्व में शिक्षक और पुस्तकालाध्यक्षों ने जश्न
मना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। 27 को होने वाली ऐरियर की
सुनवाई के लिए भी उन्होंने आशा व्यक्त की है।
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