पटनाहाईकोर्ट ने राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में
तैनात नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन का फैसला दिया
है। इसके साथ ही अगला सवाल है- क्या समान सेवा के लिए समान सेवा शर्त
नियमावली भी होगी? जाहिर है, होनी चाहिए।
राज्य में करीब 4.01 लाख शिक्षक प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में तैनात हैं। इसमें से 3.89 लाख शिक्षक नियोजित हैं। इन शिक्षकों के लिए अभी तक कोई सेवा शर्त नियमावली नहीं बनाई जा सकी है। नियोजित शिक्षकों का कहना है कि जब हम पहले से काम कर रहे शिक्षक दोनों एक ही काम कर रहे हैं, फिर हमारे लिए सेवा शर्त नियमावली अलग क्यों हो? हमें नियमित शिक्षकों की तर्ज पर ही सेवा शर्त नियमावली का लाभ मिलना चाहिए। वैसे, नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली का मामला दो वर्षों से सरकार के समक्ष पेंडिंग है। वर्ष 2015 में शिक्षामित्र, पारा शिक्षकों सहयोगी शिक्षकों और टेट के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को नियोजित शिक्षक का दर्जा दिया गया तो फिर उनकी सेवा शर्त नियमावली तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रधान सचिवों की कमेटी की बैठकों के बाद प्रारूप तय होने की बात तो हुई, लेकिन अभी तक वह सामने नहीं पाया है। हाई कोर्ट के निर्णय के बाद नियोजित शिक्षकों को इस मामले में भी सरकार से राहत मिलने की उम्मीद है। संभवत: अब अलग से नियमावली बनाने की जरूरत पड़े।
वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव मदन मोहन झा शिक्षक नियोजन नियमावली को तैयार कर रहे थे तो उसी समय इसका विरोध शुरू हो गया था। शिक्षक संगठनों ने तब सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। उनका तर्क था कि एक स्कूल में दो प्रकार के शिक्षक कैसे काम कर सकेंगे। शिक्षक नेता केदारनाथ पांडेय के अनुसार तब इस नियमावली को संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से नियोजन की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद आंदोलन शुरू हुआ तो वर्ष 2015 में सरकार ने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान का फैसला लिया।
शिक्षकों के लिए 18 पे मैट्रिक्स तय किए गए हैं।
1 अप्रैल 2017 के प्रभाव से पंचायती राज एवं नगर निकाय के नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्षों को सातवां वेतन 2.57 गुणक के आधार पर मिलना है। इसके अलावा 4% दर से महंगाई भत्ता, 200 रुपए चिकित्सा भत्ता और 500 से 1000 रुपए का आवास भत्ता देने की भी अनुशंसा है।
{ प्लस 2 तक की शिक्षा पर होने वाले कुल खर्च का वहन केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में वहन करते हैं। शिक्षक नेताओं के अनुसार हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी वेतन मद का खर्च केंद्र और राज्य के बीच इसी अनुपात में बंटेगा।
(सरकारी नियमित शिक्षकों का मौजूदा स्केल 9,300 से 34,800 है। समान काम के लिए समान वेतन के आधार पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद यही वेतनमान लागू होगा।)
फैसले के बाद
कक्षा1 से 5 35से42,000
कक्षा6 से 10 40से48,000
+2लेवल 48से52,000
(2015 में 5200-20,200 का वेतनमान लागू हुआ। ऊपर वर्णित वेतन प्रशिक्षित शिक्षकों का है। वेतनमान लागू होने के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों को वेतन मिलता है- कक्षा 1 से 5 को 12-13,000; कक्षा 6 से 10 तक को 14,000 और प्लस 2 शिक्षकों को 14,500 से 15,500 के करीब।)
मूल वेतन नया वेतनमान
5200रुपए13370-22200रुपए
7200रुपए18510-30690रुपए
7600रुपए19540-32440रुपए
2015 से पहले
कक्षा1 से 5 9,000
कक्षा6 से 10 11,000
+2लेवल 13,000
2015के बाद
कक्षा1 से 5 18,000
कक्षा6 से 10 18से21,000
+2लेवल 19से21,000
2. एकही स्कूल में समान शिक्षण कार्य कर रहे दोनों तरह के शिक्षकों पर समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत लागू होता है
3. चूंकिएक ही सरकारी स्कूल में समान शिक्षण कार्य कर रहे सहायक एवं नियोजित शिक्षकों के बीच कोई कानूनी वर्गीकरण संभव नहीं, इसलिए नियोजित शिक्षकों का वेतनमान, सहायक शिक्षकों के वेतनमान से कम होना सिर्फ गैर कानूनी है, बल्कि असंवैधानिक है।
1. सभीराजकीय राजकीयकृत स्कूलों में कार्यरत 2006 के पूर्व नियुक्त हुए प्रारंभिक माध्यमिक सहायक शिक्षक एवं 2006 से नियोजित हो रहे प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षकों के बीच किसी भी तरह का वर्गीकरण गैरकानूनी है
वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव मदन मोहन झा शिक्षक नियोजन नियमावली को तैयार कर रहे थे तो उसी समय इसका विरोध शुरू हो गया था। शिक्षक संगठनों ने तब सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। उनका तर्क था कि एक स्कूल में दो प्रकार के शिक्षक कैसे काम कर सकेंगे। शिक्षक नेता केदारनाथ पांडेय के अनुसार तब इस नियमावली को संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से नियोजन की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद आंदोलन शुरू हुआ तो वर्ष 2015 में सरकार ने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान का फैसला लिया।
क) गया
ख) भागलपुर
ग) पटना
बिहार की राजधानी?
बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षकों के आगे से नियोजित शब्द को हटाया जाना चाहिए। पूर्व से कार्य कर रहे नियोजित दोनों शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो उनके लिए अलग-अलग नियमावली क्यों? यह तो भेदभाव हो जाएगा। राज्य में विद्यालय शिक्षक सेवा शर्त नियमावली 1983 लागू है, सभी शिक्षक इसी नियमावली के अधीन होने चाहिए। शिक्षक नेता ने कहा कि नियोजित शिक्षक खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे, अब उन्हें कुछ बेहतर की उम्मीद दिख रही है।
रजिस्ट्रेशन में एजेंसी की ओर से बड़ी लापरवाही की गई है। राज्यभर में रजिस्ट्रेशन के लिए 189 सेंटर खोले गए थे। जहां रजिस्ट्रेशन का काम किया गया। लेकिन इस पूरे काम को गंभीरता से नहीं किया गया। इसलिए रजिस्ट्रेशन में किसी का विषय गायब है तो किसी का संकाय। किसी का चालान जेनरेट नहीं हुआ तो किसी का शुल्क जमा नहीं हुआ।
{ शुल्क जमा होने के बावजूद स्टेटस पेंडिंग दिखा रहा है।
{ मान्यता प्राप्त प्लस 2 स्कूलों ने जितने फॉर्म जमा किए हैं उनमें से कुछ का चालान नहीं निकल पाया, शुल्क ही जमा नहीं हुआ।
{ शिक्षण संस्थान के प्रधान द्वारा विलंब दंड के साथ रजिस्ट्रेशन फॉर्म जमा किया गया लेकिन चालान जेनरेट नहीं हुआ।
{ कुछ प्लस 2 विद्यालयों के कॉमर्स संकाय में संबद्धता के बावजूद छात्रों का चालान जेनरेट नहीं हुआ।
{ चयनित एजेंसी द्वारा सीबीएसई अथवा अन्य बोर्ड से दसवीं उत्तीर्ण छात्रों का बिहार बोर्ड से उत्तीर्णता दर्शा दिए जाने के कारण बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना को इमिग्रेशन शुल्क प्राप्त नहीं हुआ।
{ एजेंसी द्वारा कुछ नियमित परीक्षार्थियों को स्वतंत्र कोटि में तथा स्वतंत्र कोटि के परीक्षार्थियों को नियमित में दर्शा दिया गया है।
{ विज्ञान संकाय के छात्र कला संकाय में, कला संकाय के छात्र विज्ञान में हो गए हैं।
{ कुछ परीक्षार्थियों का संकाय सही है उनका विषय गलत अंकित किया गया है। अतिरिक्त विषय के रूप में चयनित विषय दर्शाया नहीं गया है। कई छात्र-छात्राओं का तो विषय ही गायब है।
{ स्टेटस पेंडिंग दिखने के कारण कई प्लस 2 विद्यालयों, महाविद्यालयों द्वारा दोबारा शुल्क जमा कर दिया गया है।
{ एजेंसी द्वारा कुछ छात्रों के मामले में उनके वास्तविक महाविद्यालय, प्लस 2 विद्यालय कोड की बजाय किसी अन्य महाविद्यालय प्लस 2 विद्यालय का कोड अंकित कर दिया गया है।
राज्य में करीब 4.01 लाख शिक्षक प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में तैनात हैं। इसमें से 3.89 लाख शिक्षक नियोजित हैं। इन शिक्षकों के लिए अभी तक कोई सेवा शर्त नियमावली नहीं बनाई जा सकी है। नियोजित शिक्षकों का कहना है कि जब हम पहले से काम कर रहे शिक्षक दोनों एक ही काम कर रहे हैं, फिर हमारे लिए सेवा शर्त नियमावली अलग क्यों हो? हमें नियमित शिक्षकों की तर्ज पर ही सेवा शर्त नियमावली का लाभ मिलना चाहिए। वैसे, नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली का मामला दो वर्षों से सरकार के समक्ष पेंडिंग है। वर्ष 2015 में शिक्षामित्र, पारा शिक्षकों सहयोगी शिक्षकों और टेट के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को नियोजित शिक्षक का दर्जा दिया गया तो फिर उनकी सेवा शर्त नियमावली तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रधान सचिवों की कमेटी की बैठकों के बाद प्रारूप तय होने की बात तो हुई, लेकिन अभी तक वह सामने नहीं पाया है। हाई कोर्ट के निर्णय के बाद नियोजित शिक्षकों को इस मामले में भी सरकार से राहत मिलने की उम्मीद है। संभवत: अब अलग से नियमावली बनाने की जरूरत पड़े।
वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव मदन मोहन झा शिक्षक नियोजन नियमावली को तैयार कर रहे थे तो उसी समय इसका विरोध शुरू हो गया था। शिक्षक संगठनों ने तब सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। उनका तर्क था कि एक स्कूल में दो प्रकार के शिक्षक कैसे काम कर सकेंगे। शिक्षक नेता केदारनाथ पांडेय के अनुसार तब इस नियमावली को संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से नियोजन की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद आंदोलन शुरू हुआ तो वर्ष 2015 में सरकार ने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान का फैसला लिया।
शिक्षकों के लिए 18 पे मैट्रिक्स तय किए गए हैं।
1 अप्रैल 2017 के प्रभाव से पंचायती राज एवं नगर निकाय के नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्षों को सातवां वेतन 2.57 गुणक के आधार पर मिलना है। इसके अलावा 4% दर से महंगाई भत्ता, 200 रुपए चिकित्सा भत्ता और 500 से 1000 रुपए का आवास भत्ता देने की भी अनुशंसा है।
{ प्लस 2 तक की शिक्षा पर होने वाले कुल खर्च का वहन केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में वहन करते हैं। शिक्षक नेताओं के अनुसार हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी वेतन मद का खर्च केंद्र और राज्य के बीच इसी अनुपात में बंटेगा।
(सरकारी नियमित शिक्षकों का मौजूदा स्केल 9,300 से 34,800 है। समान काम के लिए समान वेतन के आधार पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद यही वेतनमान लागू होगा।)
फैसले के बाद
कक्षा1 से 5 35से42,000
कक्षा6 से 10 40से48,000
+2लेवल 48से52,000
(2015 में 5200-20,200 का वेतनमान लागू हुआ। ऊपर वर्णित वेतन प्रशिक्षित शिक्षकों का है। वेतनमान लागू होने के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों को वेतन मिलता है- कक्षा 1 से 5 को 12-13,000; कक्षा 6 से 10 तक को 14,000 और प्लस 2 शिक्षकों को 14,500 से 15,500 के करीब।)
मूल वेतन नया वेतनमान
5200रुपए13370-22200रुपए
7200रुपए18510-30690रुपए
7600रुपए19540-32440रुपए
2015 से पहले
कक्षा1 से 5 9,000
कक्षा6 से 10 11,000
+2लेवल 13,000
2015के बाद
कक्षा1 से 5 18,000
कक्षा6 से 10 18से21,000
+2लेवल 19से21,000
2. एकही स्कूल में समान शिक्षण कार्य कर रहे दोनों तरह के शिक्षकों पर समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत लागू होता है
3. चूंकिएक ही सरकारी स्कूल में समान शिक्षण कार्य कर रहे सहायक एवं नियोजित शिक्षकों के बीच कोई कानूनी वर्गीकरण संभव नहीं, इसलिए नियोजित शिक्षकों का वेतनमान, सहायक शिक्षकों के वेतनमान से कम होना सिर्फ गैर कानूनी है, बल्कि असंवैधानिक है।
1. सभीराजकीय राजकीयकृत स्कूलों में कार्यरत 2006 के पूर्व नियुक्त हुए प्रारंभिक माध्यमिक सहायक शिक्षक एवं 2006 से नियोजित हो रहे प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षकों के बीच किसी भी तरह का वर्गीकरण गैरकानूनी है
वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव मदन मोहन झा शिक्षक नियोजन नियमावली को तैयार कर रहे थे तो उसी समय इसका विरोध शुरू हो गया था। शिक्षक संगठनों ने तब सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। उनका तर्क था कि एक स्कूल में दो प्रकार के शिक्षक कैसे काम कर सकेंगे। शिक्षक नेता केदारनाथ पांडेय के अनुसार तब इस नियमावली को संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया गया था। इसके बावजूद सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से नियोजन की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद आंदोलन शुरू हुआ तो वर्ष 2015 में सरकार ने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान का फैसला लिया।
क) गया
ख) भागलपुर
ग) पटना
बिहार की राजधानी?
बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षकों के आगे से नियोजित शब्द को हटाया जाना चाहिए। पूर्व से कार्य कर रहे नियोजित दोनों शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो उनके लिए अलग-अलग नियमावली क्यों? यह तो भेदभाव हो जाएगा। राज्य में विद्यालय शिक्षक सेवा शर्त नियमावली 1983 लागू है, सभी शिक्षक इसी नियमावली के अधीन होने चाहिए। शिक्षक नेता ने कहा कि नियोजित शिक्षक खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे, अब उन्हें कुछ बेहतर की उम्मीद दिख रही है।
रजिस्ट्रेशन में एजेंसी की ओर से बड़ी लापरवाही की गई है। राज्यभर में रजिस्ट्रेशन के लिए 189 सेंटर खोले गए थे। जहां रजिस्ट्रेशन का काम किया गया। लेकिन इस पूरे काम को गंभीरता से नहीं किया गया। इसलिए रजिस्ट्रेशन में किसी का विषय गायब है तो किसी का संकाय। किसी का चालान जेनरेट नहीं हुआ तो किसी का शुल्क जमा नहीं हुआ।
{ शुल्क जमा होने के बावजूद स्टेटस पेंडिंग दिखा रहा है।
{ मान्यता प्राप्त प्लस 2 स्कूलों ने जितने फॉर्म जमा किए हैं उनमें से कुछ का चालान नहीं निकल पाया, शुल्क ही जमा नहीं हुआ।
{ शिक्षण संस्थान के प्रधान द्वारा विलंब दंड के साथ रजिस्ट्रेशन फॉर्म जमा किया गया लेकिन चालान जेनरेट नहीं हुआ।
{ कुछ प्लस 2 विद्यालयों के कॉमर्स संकाय में संबद्धता के बावजूद छात्रों का चालान जेनरेट नहीं हुआ।
{ चयनित एजेंसी द्वारा सीबीएसई अथवा अन्य बोर्ड से दसवीं उत्तीर्ण छात्रों का बिहार बोर्ड से उत्तीर्णता दर्शा दिए जाने के कारण बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना को इमिग्रेशन शुल्क प्राप्त नहीं हुआ।
{ एजेंसी द्वारा कुछ नियमित परीक्षार्थियों को स्वतंत्र कोटि में तथा स्वतंत्र कोटि के परीक्षार्थियों को नियमित में दर्शा दिया गया है।
{ विज्ञान संकाय के छात्र कला संकाय में, कला संकाय के छात्र विज्ञान में हो गए हैं।
{ कुछ परीक्षार्थियों का संकाय सही है उनका विषय गलत अंकित किया गया है। अतिरिक्त विषय के रूप में चयनित विषय दर्शाया नहीं गया है। कई छात्र-छात्राओं का तो विषय ही गायब है।
{ स्टेटस पेंडिंग दिखने के कारण कई प्लस 2 विद्यालयों, महाविद्यालयों द्वारा दोबारा शुल्क जमा कर दिया गया है।
{ एजेंसी द्वारा कुछ छात्रों के मामले में उनके वास्तविक महाविद्यालय, प्लस 2 विद्यालय कोड की बजाय किसी अन्य महाविद्यालय प्लस 2 विद्यालय का कोड अंकित कर दिया गया है।