पटना हाईकोर्ट ने जहानाबाद के संजय कुमार को पंचायत शिक्षक नियुक्त करने को
कहा था। लेकिन कोर्ट के आदेश में फर्जीवाड़ा कर अरवल के भी करीब 30 लोग
(संजय) पंचायत शिक्षक की नौकरी पा गए। हद तो यह रही कि प्राथमिक शिक्षा
निदेशक ने 3 साल पहले पूरे मामले का खुलासा किया था।
इस बारे में कार्रवाई करने को भी कहा था। लेकिन, अब तक कुछ नहीं हुआ। सोमवार को एक पीआईएल के जरिए जब यह मामला कोर्ट के सामने आया, तो जज भी सकते में पड़ गए। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमन्त गुप्ता और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से पहले निष्पादित इस मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड मंगाया है। यह मामला 2012 का है। तब एक रिट याचिका पर कोर्ट ने सिर्फ जहानाबाद के संजय कुमार को पंचायत शिक्षक के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया था। जालसाजों ने इसमें अपना दिमाग लगा दिया। इस आदेश को अरवल के लिए दिया गया आदेश भी बना दिया। इसके आधार पर 30 लोग नौकरी भी पा गए।
अफसरों की मिलीभगत से आदेश की कॉपी में जोड़ दिए फर्जी याचिकाकर्ताओं के नाम
कोर्टको बताया गया कि 14 मई 2012 के आदेश में हाईकोर्ट ने संजय कुमार पिता कपिलदेव प्रसाद (पालीगंज) को पंचायत शिक्षक नियुक्त करने का आदेश जहानाबाद के डीईओ को दिया था। संजय की नियुक्ति भी हुई। इसमें अरवल का जिक्र नहीं था। लेकिन, कोर्ट के आदेश की वेब कॉपी में हेराफेरी कर याचिकाकर्ताओं की सूची में संजय कुमार के बाद, अरवल के 30 लोगों के नाम जोड़ दिए गए। यह सब अरवल के तत्कालीन डीईओ परशुराम सिंह कुछ कर्मियों की मिलिभगत से हुआ।
सभी डीईओ से मांगा जवाब
कोर्ट ने इस मामले से जुड़े जिला शिक्षा पदाधिकारियों से भी जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता अरुण कुमार के वकील ब्रजेश कुमार ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह कुछ महीने पहले हाईकोर्ट के रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी तरीके से जमानत लेने की कोशिश का भंडाफोड़ हुआ, उसी तरह अरवल के कई पंचायत शिक्षकों के नियोजन में कोर्ट के आदेश के साथ फर्जीवाड़ा किया गया है।
इस बारे में कार्रवाई करने को भी कहा था। लेकिन, अब तक कुछ नहीं हुआ। सोमवार को एक पीआईएल के जरिए जब यह मामला कोर्ट के सामने आया, तो जज भी सकते में पड़ गए। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमन्त गुप्ता और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से पहले निष्पादित इस मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड मंगाया है। यह मामला 2012 का है। तब एक रिट याचिका पर कोर्ट ने सिर्फ जहानाबाद के संजय कुमार को पंचायत शिक्षक के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया था। जालसाजों ने इसमें अपना दिमाग लगा दिया। इस आदेश को अरवल के लिए दिया गया आदेश भी बना दिया। इसके आधार पर 30 लोग नौकरी भी पा गए।
अफसरों की मिलीभगत से आदेश की कॉपी में जोड़ दिए फर्जी याचिकाकर्ताओं के नाम
कोर्टको बताया गया कि 14 मई 2012 के आदेश में हाईकोर्ट ने संजय कुमार पिता कपिलदेव प्रसाद (पालीगंज) को पंचायत शिक्षक नियुक्त करने का आदेश जहानाबाद के डीईओ को दिया था। संजय की नियुक्ति भी हुई। इसमें अरवल का जिक्र नहीं था। लेकिन, कोर्ट के आदेश की वेब कॉपी में हेराफेरी कर याचिकाकर्ताओं की सूची में संजय कुमार के बाद, अरवल के 30 लोगों के नाम जोड़ दिए गए। यह सब अरवल के तत्कालीन डीईओ परशुराम सिंह कुछ कर्मियों की मिलिभगत से हुआ।
सभी डीईओ से मांगा जवाब
कोर्ट ने इस मामले से जुड़े जिला शिक्षा पदाधिकारियों से भी जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता अरुण कुमार के वकील ब्रजेश कुमार ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह कुछ महीने पहले हाईकोर्ट के रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी तरीके से जमानत लेने की कोशिश का भंडाफोड़ हुआ, उसी तरह अरवल के कई पंचायत शिक्षकों के नियोजन में कोर्ट के आदेश के साथ फर्जीवाड़ा किया गया है।