सिटी रिपोर्टर|छपरा बच्चों को पढ़ाई में दक्ष करने के लिए बने गुरुजी खुद की दक्षता परीक्षा में
फेल कर गए। फेल भी किए तो एक-दो नहीं सौ से अधिक की संख्या में फेल किए।
जो कुल आंकड़े का 16 फीसदी से अधिक है। कुल 881 शिक्षक दक्षता परीक्षा में
शामिल हुए थे।
इनमें से 144 ने मुंह की खाई है यानी वे फेल कर गए हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि जिन शिक्षकों का चयन बच्चों को पढ़ाने के लिए किया गया है, वे खुद की दक्षता साबित नहीं कर पा रहे हैं तो वे बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा देंगे। इसे लेकर काफी चर्चा भी शुरू हो गई है।
तीन परीक्षा, सभी में फेल
सबसे बड़ी बात है कि दक्षता की परीक्षा 100 अंकों की होती है। पर फेल किए शिक्षकों में से कुछ ऐसे हैं जो 100 में 30 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए हैं। ऐसे में गुरूजी ने अपनी तैयारी को लेकर तो हद ही कर दी थी, बिना तैयारी के ही वे परीक्षा हॉल में बैठ गए थे। जबकि जो सवाल परीक्षा में पूछे गए थे, वे पांचवीं से दसवीं कक्षा स्तर के थे। ऐसे गुरूजी जुगाड़ तकनीक से तीन दक्षता परीक्षा में से किसी में सफल हो जाते हैं तो वे बच्चों को क्या सीख देंगे, यह एक विचारणीय प्रश्न है।
इनमें से 144 ने मुंह की खाई है यानी वे फेल कर गए हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि जिन शिक्षकों का चयन बच्चों को पढ़ाने के लिए किया गया है, वे खुद की दक्षता साबित नहीं कर पा रहे हैं तो वे बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा देंगे। इसे लेकर काफी चर्चा भी शुरू हो गई है।
तीन परीक्षा, सभी में फेल
सबसे बड़ी बात है कि दक्षता की परीक्षा 100 अंकों की होती है। पर फेल किए शिक्षकों में से कुछ ऐसे हैं जो 100 में 30 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए हैं। ऐसे में गुरूजी ने अपनी तैयारी को लेकर तो हद ही कर दी थी, बिना तैयारी के ही वे परीक्षा हॉल में बैठ गए थे। जबकि जो सवाल परीक्षा में पूछे गए थे, वे पांचवीं से दसवीं कक्षा स्तर के थे। ऐसे गुरूजी जुगाड़ तकनीक से तीन दक्षता परीक्षा में से किसी में सफल हो जाते हैं तो वे बच्चों को क्या सीख देंगे, यह एक विचारणीय प्रश्न है।