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बगैर नेट व पीएचडी किए बीएयू में बने शिक्षक

भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी] बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी के कार्यकाल में बगैर नेट और पीएचडी पास अभ्यथ्िियों ने शिक्षक पद की नौकरी पाई थी। नौकरी के लिए 2011 में विज्ञापन प्रकाशित हुआ था और 2500 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था।
इसके उपरांत वहां नौकरी पाने के लिए मोलजोल भी हुआ था, जिसमें कई मेधावी और उच्च डिग्री प्राप्त अभ्यर्थी वंचित हो गए थे। वंचितों में से एक अभ्यर्थी ने आरटीआइ के माध्यम से पूरी नियुक्ति प्रक्रिया की जानकारी ली थी। जिसमें नियुक्ति में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था। बाद में इस मुद्दे को लेकर कई राजनीतिक दलों ने आवाज बुलंद की थी। विधानसभा और विधान परिषद में भी नियुक्ति घोटाला का मुद्दा गरमाया था।
मंगलवार को कुलाधिपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की शिकायत और बीएयू के कुलपति के रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए बीएयू नियुक्ति प्रकरण की जांच के लिए एक सदस्यी कमेटी का गठन कर दो माह में जांच रिपोर्ट देन को कहा है। कुलाधिपति द्वारा गठित कमेटी के बाद नियुक्ति घोटाले से जुड़े शिक्षकों व विवि अधिकारियों के बीच हडकंप मंच गया है।
आरोप है कि शिक्षकों के नियुक्ति में करोड़ों का खेल हुआ था। इतना ही नहीं प्रतिभा को दरकिनार कर कमजोर अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई थी।
बिना नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की इन विभागों में हुई नियुक्ति
कृषि प्रसार - दो शिक्षक
कृषि अर्थशास्त्र - दो शिक्षक
शष्य विभाग - एक शिक्षक
बायो केमेस्ट्री - एक शिक्षक
बोटनी एवं प्लांट पैथोलॉजी - दो शिक्षक
फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी - एक शिक्षक
उद्यान फल - एक शिक्षक
उद्यान अलेरीकल्चर - दो शिक्षक
गणित - एक शिक्षक
ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स - एक शिक्षक
मृदा विज्ञान - तीन शिक्षक
सांख्यिकीय - चार शिक्षक
161 की हुई थी बहाली

गौरतलब है कि विज्ञापन संख्या-07/2011 के आधार पर 261 सहायक प्राध्यापक कम जूनियर साइंटिस्ट की रिक्ति निकाली गई थी। 2500 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 161 शिक्षकों की बहाली हुई थी। जिसमें बड़े पैमाने पर धांधली की आरटीआइ से खुलासा हुआ था आरटीआइ से यह रिपोर्ट गुलजारबाग पटना निवासी राकेश कुमार ने मांगा था। जिसका जबाव बीएयू सबौर के नोडल पदाधिकारी सूचना का अधिकार कोषांग द्वारा दिया गया था।
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