पटना: नकल पर नकेल का असर इंटरमीडिएट की तरह मैट्रिक के रिजल्ट पर भी देखने को मिला. पिछले पांच साल की तुलना में इस साल का रिजल्ट काफी खराब रहा. 28.51% रिजल्ट गिरा है. प्रथम श्रेणीवालों की संख्या में भी 10.59% की कमी आयी है. टॉप टेन में शामिल सभी 42 विद्यार्थी जमुई के सिमुलतला आवासीय स्कूल के हैं.
यहीं नहीं, टॉप 50 विद्यार्थी इसी स्कूल के हैं. सिमुलतला स्कूल से 121 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी. सभी प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं. बबीता व तृषा तन्वी संयुक्त रूप से स्टेट टॉपर हैं. पिछले वर्ष भी टॉप टेन में इस स्कूल के 30 विद्यार्थी थे. जिलों में सबसे अधिक पश्चिम चंपारण में 62.47%, जबकि सबसे कम बक्सर में 27.06% पास हुए हैं.
रिजल्ट के आधार पर स्कूलों की होगी ग्रेिडंग : मंत्री
राज्य के हाइस्कूलों और प्लस टू स्कूलों की ग्रेडिंग की जायेगी. मैट्रिक और इंटर के पिछले दो साल के रिजल्ट और स्कूलों में टीचर-स्टूडेंट रेशियो के आधार पर यह ग्रेडिंग होगी. मैट्रिक का रिजल्ट आने के बाद अब शिक्षा विभाग इसका सर्वे करेगा. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि स्कूलों की ए, बी व सी ग्रेडिंग की जायेगी. जिन स्कूलों को बी या सी ग्रेड मिलेगा, उनकी सभी कमियों को दूर किया जायेगा, ताकि अगले साल उनके ग्रेड में सुधार हो सके. मैट्रिक परीक्षा में कड़ाईके बाद रिजल्ट में थोड़ी गिरावट आयी है, लेकिन रिजल्ट बेहतर है.
उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों का रिजल्ट खराब हुआ है, उनका भी सर्वे होगा. किसी स्कूल में अगर साइंस में रिजल्ट खराब हुआ है और उस स्कूल में साइंस के दो-तीन शिक्षक हैं, तो उनसे कारण पूछा जायेगा कि रिजल्ट क्यों खराब हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं? दूसरे विषयों के शिक्षकों से भी ऐसे ही स्पष्टीकरण मांगा जायेगा. जांच में शिक्षकों का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं पाया गया, तो उनका मास लेबल पर ट्रांसफर किया जायेगा. शहर व मुख्यालयों के स्कूलों में अच्छा परफॉर्मेंस नहीं देनेवाले शिक्षकों का ट्रांसफर सुदूर इलाके में किया जायेगा और गांवों में जो अच्छे शिक्षक हैं, उनका तबादला शहरों में किया जायेगा. वहीं, जिन शिक्षकों का बेहतर परफॉर्मेंस होगा, उन्हें सम्मानित किया जायेगा. शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूलों से अभिभावकों को भी जोड़ा जायेगा. बच्चों का मंथली, छमाही व वार्षिक असेसमेंट में जो परिणाम आये हैं, उसके आधार पर अभिभावकों को बताया जायेगा कि उनके बच्चे किस विषय में कमजोर हैं. उस पर शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को विशेष ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों का रिजल्ट खराब हुआ है, उनका भी सर्वे होगा. किसी स्कूल में अगर साइंस में रिजल्ट खराब हुआ है और उस स्कूल में साइंस के दो-तीन शिक्षक हैं, तो उनसे कारण पूछा जायेगा कि रिजल्ट क्यों खराब हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं? दूसरे विषयों के शिक्षकों से भी ऐसे ही स्पष्टीकरण मांगा जायेगा. जांच में शिक्षकों का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं पाया गया, तो उनका मास लेबल पर ट्रांसफर किया जायेगा. शहर व मुख्यालयों के स्कूलों में अच्छा परफॉर्मेंस नहीं देनेवाले शिक्षकों का ट्रांसफर सुदूर इलाके में किया जायेगा और गांवों में जो अच्छे शिक्षक हैं, उनका तबादला शहरों में किया जायेगा. वहीं, जिन शिक्षकों का बेहतर परफॉर्मेंस होगा, उन्हें सम्मानित किया जायेगा. शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूलों से अभिभावकों को भी जोड़ा जायेगा. बच्चों का मंथली, छमाही व वार्षिक असेसमेंट में जो परिणाम आये हैं, उसके आधार पर अभिभावकों को बताया जायेगा कि उनके बच्चे किस विषय में कमजोर हैं. उस पर शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को विशेष ध्यान देना होगा.
सिमुलतला का दर्द: मैट्रिक में फर्स्ट क्लास पास कर 70% ले लेते हैं टीसी
दो वर्षों से मैट्रिक के रिजल्ट में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी छाये हुए हैं. टॉप टेन की पूरी सूची इस स्कूल के नाम है. सौ फीसदी फर्स्ट क्लास रिजल्ट रहा है. लेकिन, विडंबना है कि मैट्रिक में इतने अच्छे प्रदर्शन करने के बावजूद स्कूल के अधिकतर विद्यार्थी अागे की पढ़ाई यहां नहीं करना चाहते हैं. मैट्रिक के बाद 70 फीसदी विद्यार्थी स्कूल छोड़ कर चले जाते हैं. 2015 में जहां 120 विद्यार्थी में केवल 45 ने यहां इंटर (साइंस, आर्ट्स और काॅमर्स) में नामांकन लिया था, वहीं इस बार तो मैट्रिक के रिजल्ट निकलने से पहले ही 80 विद्यार्थियों ने स्कूल में टीसी के लिए अावेदन दे दिया है.
सिर्फ 40 विद्यार्थी कर रहे इंटर का क्लास : इस स्कूल में एक अप्रैल से इंटर की पढ़ाई शुरू कर दी गयी है, लेकिन सिर्फ 40 विद्यार्थी क्लास कर रहे हैं. बाकी 80 विद्यार्थी क्लास करने नहीं आते हैं. उन्होंने दूसरी जगहों पर नामांकन लेने की तैयारी की है. स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है. इंटर लेबल के लैब और लाइब्रेरी दोनों ही नहीं है. इसके अलावा जो भी शिक्षक हैं, वे भी इंटर लेबल की क्वालिटी नहीं रखते हैं.
- नामांकन प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ी
सिमुलतला आवासीय विद्यालय को जब खोला गया था, तो नामांकन प्रक्रिया तीन स्तर पर होती थी. लेकिन, पिछली दो सत्रों में नामांकन प्रक्रिया को बदल दिया गया. यह बदलाव 2012 से शुरू हुआ. 2012 में चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी ने नामांकन लिया. इसके बाद यह जिम्मेवारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दे दी गयी. 2013-14, 2014-15, 2015-16 सत्रों में नामांकन 10 महीने देरी से हुई. 2016-17 सत्र की बात करें, तो अब तक नामांकन की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पायी है.
- शिक्षकों की समस्या होगी दूर
2016 में भी सिमुलतला आवासीय विद्यालय का रिजल्ट बढ़िया होने पर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि इंटर स्तर पर विद्यालय में शिक्षकों की कई समस्याएं हैं. जल्द ही शिक्षकों की समस्याओं को दूर किया जायेगा. इंटर में पढ़ाई के स्तर में सुधार किया जायेगा. इसके अलावा विद्यालय में नामांकन प्रक्रिया भी सही की जायेगी. इस सत्र में भी नामांकन प्रक्रिया सही नहीं हुई है. लेकिन अगले सत्र से इसमें सुधार किया जायेगा.
सिमुलतला आवासीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ राजीव रंजन ने कहा कि इस बार भी हमारे विद्यालय के रिजल्ट काफी अच्छा हुआ है. यह काफी खुशी की बात है. लेकिन, इंटर में छात्र यहां पर रहना नहीं चाहते हैं. इसे सही करने की जरूरत है. बेसिक चीजों को सही करना होगा.
सिमुलतला आवासीय विद्यालाय के फाउंडर प्रिंसिपल प्रो शंकर कुमार ने कहा कि स्कूल का दूसरी बार भी रिजल्ट बेहतर रहा है. ये सारे बच्चे गरीब परिवारों से हैं. इन्हें कई राउंड में परीक्षा लेकर चुना गया है. सरकार को विद्यालय की परीक्षा प्रणाली को सही करना होगा. नामांकन प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है.
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