सहरसा। जिले में फर्जी प्रमाण पत्र के
आधार पर बहाल होनेवाले शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच निगरानी विभाग ने
शुरू कर दी है। लेकिन निगरानी की जांच में पंचायत शिक्षक नियोजन समिति
सहयोग न करके उन्हें बाधा पहुंचाने में लगी हुई है।
जिले में 6841 नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच निगरानी विभाग कर रही है। लेकिन अब तक कई हिदायतों के बाद मुश्किल से करीब 3300 शिक्षकों का प्रमाण पत्र निगरानी कोषांग में जमा हो पाया है। जबकि शेष नियोजित शिक्षकों का कागजात जमा नहीं होने से जांच प्रक्रिया अधूरी है। हालांकि निगरानी विभाग द्वारा नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दिये जाने के बाद जिले के करीब 95 शिक्षकों ने स्वत: शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया है। जिससे यह पुष्टि हो गयी है कि जिले में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों की बहाली बड़े पैमाने पर हुई है। इधर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद निगरानी विभाग ने नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है। लेकिन कई बार स्मार पत्र मिलने के बाद भी संबंधित नियोजित इकाई द्वारा कागजात जमा नहीं किया जा रहा है। जिससे निगरानी विभाग जांच पूरा नहीं कर पा रही है। कागजात जमा नहीं होने के कारण लगातार विलंब हो रहे जांच को लेकर राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए पंचायत नियोजन समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया था। इसी आलोक में स्थापना डीपीओ सह मध्याह्न भोजन प्रभारी नन्द किशोर राम ने संबंधित बीईओ को संबंधित पंचायत नियोजित इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया। इसके बाद भी अब तक एक की नियोजित इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पायी है।
सिमरी नगर पंचायत से एक भी कागजात नहीं हुआ जमा
जिले के सिमरीबख्तियारपुर नगर पंचायत में नियोजित शिक्षकों की संख्या 73 है। लेकिन एक भी नियोजित शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं हो पाया है। जबकि कई बार संबंधित नियोजित इकाई और बीईओ को स्मार पत्र निर्गत किया जा चुका है। निगरानी विभाग सहित शिक्षा विभाग के वरीय राज्य अधिकारी ने कई बार पमाण पत्र जमा करने का निर्देश दिया लेकिन अब तक कागजात को जमा नहीं किया गया है। ऐसे में लगता है कि आखिर कहीं न कहीं गोलमाल की संभावना बनी है। आखिर क्या कारण है कि पिछले करीब एक वर्ष से शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं हो पा रहा है। जिले के आधे शिक्षकों का ही कागजात जमा हो पाया है।
वर्ष 2003 से 2012 तक नियोजित शिक्षकों की चल रही जांच
जिले में वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2012 तक 6841 नियोजित शिक्षकों की बहाली हुई है। इन समयों में हुए नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगरानी विभाग कर रही है। इधर निगरानी विभाग द्वारा जांच शुरू होने पर विभाग ने यह कहकर शिक्षकों को राहत दिया कि अगर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल हुए ऐसे शिक्षक जो खुद ही इस्तीफा दे दें तो ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन अगर जांच के दौरान फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले पकड़ाते है तो ऐसे शिक्षक के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी तथा लिए गए रूपयों की वापसी करायी जाएगी। इसके बाद तो फर्जी शिक्षकों ने खुद ब खुद इस्तीफा देना शुरू कर दिया। जिले के 95 नियोजित शिक्षकों ने त्याग पत्र देकर अपनी नौकरी छोड़ दी है।
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जिले में 6841 नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच निगरानी विभाग कर रही है। लेकिन अब तक कई हिदायतों के बाद मुश्किल से करीब 3300 शिक्षकों का प्रमाण पत्र निगरानी कोषांग में जमा हो पाया है। जबकि शेष नियोजित शिक्षकों का कागजात जमा नहीं होने से जांच प्रक्रिया अधूरी है। हालांकि निगरानी विभाग द्वारा नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दिये जाने के बाद जिले के करीब 95 शिक्षकों ने स्वत: शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया है। जिससे यह पुष्टि हो गयी है कि जिले में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों की बहाली बड़े पैमाने पर हुई है। इधर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद निगरानी विभाग ने नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है। लेकिन कई बार स्मार पत्र मिलने के बाद भी संबंधित नियोजित इकाई द्वारा कागजात जमा नहीं किया जा रहा है। जिससे निगरानी विभाग जांच पूरा नहीं कर पा रही है। कागजात जमा नहीं होने के कारण लगातार विलंब हो रहे जांच को लेकर राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए पंचायत नियोजन समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया था। इसी आलोक में स्थापना डीपीओ सह मध्याह्न भोजन प्रभारी नन्द किशोर राम ने संबंधित बीईओ को संबंधित पंचायत नियोजित इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया। इसके बाद भी अब तक एक की नियोजित इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पायी है।
सिमरी नगर पंचायत से एक भी कागजात नहीं हुआ जमा
जिले के सिमरीबख्तियारपुर नगर पंचायत में नियोजित शिक्षकों की संख्या 73 है। लेकिन एक भी नियोजित शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं हो पाया है। जबकि कई बार संबंधित नियोजित इकाई और बीईओ को स्मार पत्र निर्गत किया जा चुका है। निगरानी विभाग सहित शिक्षा विभाग के वरीय राज्य अधिकारी ने कई बार पमाण पत्र जमा करने का निर्देश दिया लेकिन अब तक कागजात को जमा नहीं किया गया है। ऐसे में लगता है कि आखिर कहीं न कहीं गोलमाल की संभावना बनी है। आखिर क्या कारण है कि पिछले करीब एक वर्ष से शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं हो पा रहा है। जिले के आधे शिक्षकों का ही कागजात जमा हो पाया है।
वर्ष 2003 से 2012 तक नियोजित शिक्षकों की चल रही जांच
जिले में वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2012 तक 6841 नियोजित शिक्षकों की बहाली हुई है। इन समयों में हुए नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगरानी विभाग कर रही है। इधर निगरानी विभाग द्वारा जांच शुरू होने पर विभाग ने यह कहकर शिक्षकों को राहत दिया कि अगर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बहाल हुए ऐसे शिक्षक जो खुद ही इस्तीफा दे दें तो ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन अगर जांच के दौरान फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले पकड़ाते है तो ऐसे शिक्षक के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी तथा लिए गए रूपयों की वापसी करायी जाएगी। इसके बाद तो फर्जी शिक्षकों ने खुद ब खुद इस्तीफा देना शुरू कर दिया। जिले के 95 नियोजित शिक्षकों ने त्याग पत्र देकर अपनी नौकरी छोड़ दी है।