किशनगंज। पदच्युत शिक्षक संजय बोसाक ने शनिवार को डीएम व डीपीओ स्थापना
को ज्ञापन सौंपकर प्रदीप कुमार बोसाक के नियोजन प्रक्रिया की जांच निगरानी
विभाग से कराने की मांग की। गौरतलब है कि निगरानी विभाग बिहार प्रदेश में
नियोजित सभी शिक्षकों के जाति प्रमाणपत्र की जांच कर रही है। इस बावत सभी
नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र डीपीओ स्थापना कार्यालय में जमा कराया जा
रहा है।
डीपीओ स्थापना के सूत्रों ने बताया कि निगरानी विभाग केवल शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के सही या गलत होने की जांच करेगा। वहीं पदच्युत शिक्षक संजय ने जानकारी दी कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहागाड़ा में कार्यरत शिक्षक प्रदीप कुमार बोसाक अत्यंत पिछड़ी जाति के हैं और नौकरी पिछड़ी जाति की कोटि में कर रहे हैं। दूसरा आरोप है कि शिक्षक पद नियोजन के समय वह इंटरमीडिएट उत्तीर्ण नहीं थे, इसके बावजूद उनका नियोजन किया गया। प्राधिकार में चुनौती देने के बाद भी उन्हें शिक्षक पद से पदच्युत नहीं किया गया है। यह पिछड़ी जाति की हकमारी है।
2005 के नियोजन को दी गई है चुनौती
वर्ष 2005 में पंचायत शिक्षा मित्र के नियोजन के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 7.5.2005 निर्धारित की गई थी। वहीं श्री बोसाक का इंटरमीडिएट उत्तीर्णता का अंक पत्र 7.6.2005 को निर्गत हुआ है। ऐसी परिस्थिति में पंचायत द्वारा बगैर अंक पत्र के इनके आवेदन को स्वीकार किया गया, जो गलत है।
उच्च न्यायालय का आदेश नहीं मानने का आरोप
उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का उल्लंघन करते हुए जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार, किशनगंज मनमानी कार्य कर रहा है। पदच्युत शिक्षक संजय ने बताया कि ज्ञापांक 168 दिनांक 25.10.13 को पारित आदेश के आलोक में बोसाक को पद पर बहाल करते हुए माह अप्रैल 2010 से जून 2011 तक का मानदेय भुगतान करने का आदेश नियोजन इकाई को उन्होंने दिया, जो उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का उल्लंघन है।
क्या है पूरा मामला
कार्यालय जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार, किशनगंज के वाद संख्या 37/ 2010 दिनांक 18.6.2011 के पारित आदेश में प्रदीप कुमार बोसाक के नियोजन को तत्कालिक प्रभाव से अवैध मानते हुए रद किया था। इनके द्वारा प्राप्त किए गए मानदेय के वसूली के लिए ग्राम पंचायत, पनासी के पंचायत सचिव व मुखिया को अधिकृत किया था।
प्रदीप कुमार बोसाक को मिली हाई कोर्ट से राहत
प्रदीप कुमार बोसाक के नियोजन निरस्त होने के पश्चात वे उच्च न्यायालय पटना में रिट याचिका संख्या 17767/2010 दायर किए जो दिनांक 17.10.11 को पारित अंतरिम आदेश में कहा गया कि मानदेय की वसूली ग्राम पंचायत पनासी के सचिव व मुखिया नहीं करेंगे।
---कोट--
मैं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की कोटि में आता हूं। मेरी बहाली अत्यंत पिछड़ी जाति की कोटि में हुई है। नियोजन के समय मैं इंटर मीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका था।
प्रदीप कुमार बोसक, शिक्षक, उत्तक्रमित मध्य विद्यालय, लोहागाड़ा
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2005 के नियोजन को दी गई है चुनौती
वर्ष 2005 में पंचायत शिक्षा मित्र के नियोजन के लिए आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 7.5.2005 निर्धारित की गई थी। वहीं श्री बोसाक का इंटरमीडिएट उत्तीर्णता का अंक पत्र 7.6.2005 को निर्गत हुआ है। ऐसी परिस्थिति में पंचायत द्वारा बगैर अंक पत्र के इनके आवेदन को स्वीकार किया गया, जो गलत है।
उच्च न्यायालय का आदेश नहीं मानने का आरोप
उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का उल्लंघन करते हुए जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार, किशनगंज मनमानी कार्य कर रहा है। पदच्युत शिक्षक संजय ने बताया कि ज्ञापांक 168 दिनांक 25.10.13 को पारित आदेश के आलोक में बोसाक को पद पर बहाल करते हुए माह अप्रैल 2010 से जून 2011 तक का मानदेय भुगतान करने का आदेश नियोजन इकाई को उन्होंने दिया, जो उच्च न्यायालय, पटना के आदेश का उल्लंघन है।
क्या है पूरा मामला
कार्यालय जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार, किशनगंज के वाद संख्या 37/ 2010 दिनांक 18.6.2011 के पारित आदेश में प्रदीप कुमार बोसाक के नियोजन को तत्कालिक प्रभाव से अवैध मानते हुए रद किया था। इनके द्वारा प्राप्त किए गए मानदेय के वसूली के लिए ग्राम पंचायत, पनासी के पंचायत सचिव व मुखिया को अधिकृत किया था।
प्रदीप कुमार बोसाक को मिली हाई कोर्ट से राहत
प्रदीप कुमार बोसाक के नियोजन निरस्त होने के पश्चात वे उच्च न्यायालय पटना में रिट याचिका संख्या 17767/2010 दायर किए जो दिनांक 17.10.11 को पारित अंतरिम आदेश में कहा गया कि मानदेय की वसूली ग्राम पंचायत पनासी के सचिव व मुखिया नहीं करेंगे।
---कोट--
मैं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की कोटि में आता हूं। मेरी बहाली अत्यंत पिछड़ी जाति की कोटि में हुई है। नियोजन के समय मैं इंटर मीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका था।
प्रदीप कुमार बोसक, शिक्षक, उत्तक्रमित मध्य विद्यालय, लोहागाड़ा
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