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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : 4150 छात्रों को अब तक एक अरब 11 करोड़ 48 लाख रुपये स्वीकृत

पटना : ऑनलाइन शिक्षा ऋण वितरण समारोह में बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के सीईओ जयंत कुमार ने बताया कि 10 अगस्त तक राज्य के सभी 38 जिलों में 4150 आवेदनों के माध्यम से एक अरब, 11 करोड़, 47 लाख 53 हजार 317 रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है. इसमें 3289 पुरुष, जबकि 861 महिला आवेदक हैं. 
 
सामान्य कोटि से 1512 आवेदकों को 44.44 करोड़, अन्य पिछड़ा वर्ग से 1696 आवेदकों को 44.73 करोड़, अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 597 आवेदकों को 14.69 करोड़, अनुसूचित जाति से 300 आवेदकों को 6.45 करोड़ एवं अनुसूचित जनजाति से 45 आवेदकों को 1.17 करोड़ रुपये के शिक्षा ऋण स्वीकृत किये गये. उन्होंने बताया कि जुलाई महीने में राज्य स्तर पर पांच बड़े शिविर लगा कर संबंधित कर्मियों को नये सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण देते हुए ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. बजट में शिक्षा वित्त निगम के लिए 525.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

बजट में शिक्षा वित्त निगम के लिए 525.50 करोड़ का प्रावधान 
 
ये थे मौजूद : इस  मौके पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मुख्य सचिव दीपक कुमार, विकास आयुक्त शशिशेखर शर्मा, वित्त विभाग की प्रधान सचिव सुजाता चतुर्वेदी, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, वित्त (व्यय) सचिव राहुल सिंह,  शिक्षा सचिव आरएल चौंग्थू, मुख्यमंत्री के सचिव आतिश चंद्रा, मनीष वर्मा सहित कई अधिकारी व बैंकों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे. 

उच्च शिक्षा के लिए चार लाख रुपये तक मिलेगा ऋण
 
सीईओ ने कहा कि संशोधित बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत 12वीं उत्तीर्ण (पॉलिटेक्निक के लिए 10वीं) के छात्रों को उनके आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए चार लाख रुपये तक ऋण उपलब्ध कराया जायेगा. 
 
मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि, प्रबंधन, पॉलिटेक्निक आदि तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ बीए, बीएससी, बी कॉम, एमए, एमएससी, एमकॉम आदि सामान्य पाठ्यक्रमों सहित कुल 42 प्रकार के पाठ्यक्रमों के लिए यह सुविधा उपलब्ध है. आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन एवं काफी सरल है. इसके लिए मात्र चार प्रतिशत का सरल ब्याज दर रखी गयी है. महिला, दिव्यांग एवं ट्रांसजेंडर आवेदकों के लिए ब्याज दर मात्र एक प्रतिशत है. आय नहीं होने की स्थिति में वापसी की प्रक्रिया स्थगित रखने का भी प्रावधान है. 
 

छात्रावास से बाहर रहने वाले छात्रों को जीवनयापन के लिए शहर के हिसाब से 36 हजार से60 हजार रुपये की वार्षिक निर्धारित राशि के साथ ही पाठ्य पुस्तक, पठन-लेखन सामग्री आदि के लिए 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष राशि का भी प्रावधान है.

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