बिहार के भागलपुर जिले के खरीक के तुलसीपुर जमुनियां स्थित मॉडल हाईस्कूल
के 12 वीं के छात्र गोपालजी को केले के तने से बिजली बनाने में कामयाबी
मिली है। इसका नाम रखा है "बनाना बायो सेल"।
गोपाल के पिता प्रेम रंजन केले की खेती करते हैं। उसने देखा कि केले का रस अगर किसी कपड़े पर लग जाए तो उसका दाग छूटता नहीं। पूछने पर पिता ने बताया कि केले के रस की यह प्रकृति एसिड जैसी है।
यहीं से गोपाल के मन में रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के आइडिया ने काम करना शुरू कर दिया। घ्रुवगंज निवासी गोपालजी की खोज के लिए नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए बिहार टीम में चयनित किया गया है। छात्र के प्रयोग पर सरकार पहल करे तो इलाके में हर साल लाखों टन केले के पौधे के अपशिष्ट से हजारों वाट बिजली पैदा कर सकती है।
ऐसे पैदा की केले के थंब से बिजली
केले के थंब में प्राकृतिक रूप से सैट्रिक एसिड पाया जाता है। घर में इनवर्टर जैसे उपकरणों में प्रयोग होने वाली बैट्री में भी एसिड में दो अलग-अलग तत्व के इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इसको आधार बनाकर गोपाल ने बनाना बायो सेल का निर्माण किया है। गोपालजी ने केले के थंब को जिंक और कॉपर के दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड से जोड़ दिया। इलेक्ट्रोड जोड़ने के साथ ही इसमें करंट आने लगा और इसमें एलईडी बल्ब लगाकर जलाया गया।
सरकारी स्कूल में पढ़ पाई कामयाबी
गोपालजी ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि लोग सरकारी स्कूल की पढ़ाई को गुणवत्ता में नीचे रखते हैं, जबकि उन्होंने अपने स्कूल के संसाधन और शिक्षकों के सहारे राज्य टीम में जगह बना ली। अब उसका ध्यान नेशनल अवार्ड जीत जिले का नाम रौशन करने पर है।
दिखाएंगे अपना प्रयोग
आठ दिसंबर को दिल्ली के नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी में नेशनल इंस्पायर्ड अवार्ड का आयोजन होगा। वहां अपना प्रयोग दिखाएंगे। यहां देशभर के जूनियर वैज्ञानिक जुटेंगे।
मुख्यमंत्री से मिल चुकी है वाहवाही
गोपालजी नवंबर 2015 में सीएमएस स्कूल में आयोजित जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड में वह राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुआ था। उसके बाद बिहार दिवस 2016 में वह राज्यस्तरीय इंस्पायर अवार्ड में मुख्यमंत्री से पुरस्कृत हुआ। अब जाकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ।
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गोपाल के पिता प्रेम रंजन केले की खेती करते हैं। उसने देखा कि केले का रस अगर किसी कपड़े पर लग जाए तो उसका दाग छूटता नहीं। पूछने पर पिता ने बताया कि केले के रस की यह प्रकृति एसिड जैसी है।
यहीं से गोपाल के मन में रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के आइडिया ने काम करना शुरू कर दिया। घ्रुवगंज निवासी गोपालजी की खोज के लिए नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए बिहार टीम में चयनित किया गया है। छात्र के प्रयोग पर सरकार पहल करे तो इलाके में हर साल लाखों टन केले के पौधे के अपशिष्ट से हजारों वाट बिजली पैदा कर सकती है।
ऐसे पैदा की केले के थंब से बिजली
केले के थंब में प्राकृतिक रूप से सैट्रिक एसिड पाया जाता है। घर में इनवर्टर जैसे उपकरणों में प्रयोग होने वाली बैट्री में भी एसिड में दो अलग-अलग तत्व के इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। इसको आधार बनाकर गोपाल ने बनाना बायो सेल का निर्माण किया है। गोपालजी ने केले के थंब को जिंक और कॉपर के दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड से जोड़ दिया। इलेक्ट्रोड जोड़ने के साथ ही इसमें करंट आने लगा और इसमें एलईडी बल्ब लगाकर जलाया गया।
सरकारी स्कूल में पढ़ पाई कामयाबी
गोपालजी ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि लोग सरकारी स्कूल की पढ़ाई को गुणवत्ता में नीचे रखते हैं, जबकि उन्होंने अपने स्कूल के संसाधन और शिक्षकों के सहारे राज्य टीम में जगह बना ली। अब उसका ध्यान नेशनल अवार्ड जीत जिले का नाम रौशन करने पर है।
दिखाएंगे अपना प्रयोग
आठ दिसंबर को दिल्ली के नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी में नेशनल इंस्पायर्ड अवार्ड का आयोजन होगा। वहां अपना प्रयोग दिखाएंगे। यहां देशभर के जूनियर वैज्ञानिक जुटेंगे।
मुख्यमंत्री से मिल चुकी है वाहवाही
गोपालजी नवंबर 2015 में सीएमएस स्कूल में आयोजित जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड में वह राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुआ था। उसके बाद बिहार दिवस 2016 में वह राज्यस्तरीय इंस्पायर अवार्ड में मुख्यमंत्री से पुरस्कृत हुआ। अब जाकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ।
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