मधुबनी। जिले में जिस तरह प्राथमिक शिक्षा दम तोड़ती नजर आ रही है। यदि
इस पर शीघ्र ही सरकारी व विभाग के अधिकारियों द्वारा ठोस पहल नहीं की गई तो
आने वाले समय में शिक्षा की स्थिति हास्यास्पद हो सकती है।
जागरण टीम द्वारा किए जा रहे ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड अभियान में जो सच सामने आ रहा है वह बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर नहीं कहा जा सकता। मंगलवार को जब जागरण टीम शहर के हनुमान मंदिर स्थित प्राथमिक विद्यालय पहुंच तो वहां का नजारा देख दंग रह गई।
अनुशासन का दिखा अभाव
इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1056 में हुई थी। निश्चय ही उस समय अधिक स्कूल नहीं रहे होंगे। जब टीम वहां पहुंची तो वहां के गेट में ताला लगा हुआ था। बच्चे बाहर चहारदीवारी पर खेल रहे थे। बरामदा पर एक दर्जन छात्र-छात्राएं खेल रही थी। समय था 11. 30 बजे। जागरण टीम के आने की खबर जान ताला खोला गया। भीतर पहुंचने पर एक से पांच वर्ग तक के 90 प्रतिशत छात्र-छात्राएं बिना स्कूल यूनिफार्म में दिखी। एक बच्ची से हमने भारत के प्रधानमंत्री का नाम पूछा तो कहा नीतीश कुमार। कई छात्रों ने गणित के सामान्य सवालों का जवाब भी नहीं दिया। हम बरामदा पर पढ़ा रही नियमित शिक्षिका दीपक कुमारी साहु से देश के गृह मंत्री व रक्षा मंत्री का नाम पूछा तो वह नहीं बता सकी। यहां छात्रों की संख्या 195 है। जिसमें प्रधानाध्यापिका नियासा कुमारी ने बताया कि 150 छात्र उपस्थित हैं लेकिन जब हमने गिनती की तो वहां मात्र 50 छात्र ही दिखे। पूछने पर बताया कि बच्चे भाग जाते हैं। हमने जब आज के लिए तैयार एमडीएम देखा तो वह भी 50 लड़कों को भी कम पड़ जाने वाला था।
शिक्षक तीन, रसोइये चार
इस विद्यालय में 195 छात्र पर चार शिक्षक हैं तो भोजन बनाने के लिए तीन रसाइए हैं। जो अजीब लगा। सभी रसोइया वहां मौजूद थी। एक शिक्षक बीइओ कार्यालय में पदस्थापित है। ताज्जूब की बात यह कि इस विद्यालय में सभी चार शिक्षक नियमित वर्ग के हैं। यहां दो कमरे व एक छोटा बरामदा वाला भवन है। एक कमरा में भोजन बनता है और दूसरे कमरे जिसमें कार्यालय भी है में सभी वर्गो के छात्रों की पढ़ाई होती है। हमने देखा की इस कमरे में ठूंस कर बच्चे बैठे हुए हैं। यहां पढ़ाई होती भी है यह विश्वास नहीं हुआ।
यहां पढ़ने वाले बच्चे चहारदीवारी नीचे रहने के कारण भाग जाते हैं। इनके अभिभावक को ड्रेस पहना कर बच्चों को भेजने के अनुरोध के बाद भी बच्चे बिना यूनिफार्म के चले आते हैं। शिक्षिका के अल्पज्ञान के बारे में पूछने पर कहा कि आप सबों को देखकर घबरा गई हैं।
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शिक्षक तीन, रसोइये चार
इस विद्यालय में 195 छात्र पर चार शिक्षक हैं तो भोजन बनाने के लिए तीन रसाइए हैं। जो अजीब लगा। सभी रसोइया वहां मौजूद थी। एक शिक्षक बीइओ कार्यालय में पदस्थापित है। ताज्जूब की बात यह कि इस विद्यालय में सभी चार शिक्षक नियमित वर्ग के हैं। यहां दो कमरे व एक छोटा बरामदा वाला भवन है। एक कमरा में भोजन बनता है और दूसरे कमरे जिसमें कार्यालय भी है में सभी वर्गो के छात्रों की पढ़ाई होती है। हमने देखा की इस कमरे में ठूंस कर बच्चे बैठे हुए हैं। यहां पढ़ाई होती भी है यह विश्वास नहीं हुआ।
यहां पढ़ने वाले बच्चे चहारदीवारी नीचे रहने के कारण भाग जाते हैं। इनके अभिभावक को ड्रेस पहना कर बच्चों को भेजने के अनुरोध के बाद भी बच्चे बिना यूनिफार्म के चले आते हैं। शिक्षिका के अल्पज्ञान के बारे में पूछने पर कहा कि आप सबों को देखकर घबरा गई हैं।
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