स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य की जाएगी। मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार ने शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने का टास्क
शिक्षा विभाग को सौंपा है। इससे पहले कालेजों और विश्वविद्यालयों में
रोजाना पांच घंटे प्राध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए राज्यपाल
ने निर्देश जारी किए।
जीविका की दीदियां करेंगी निगरानी
बिहार विकास मिशन की बैठक में मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डा. धर्मेन्द्र सिंह गंगवार को शिक्षा में गुणात्मक एवं परिणामात्क सुधार के लिए विभाग के स्तर पर हर आवश्यक कदम उठाने को कहा। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जीविका की दीदियों को विद्यालयों में शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया है। वे हर माह हर विद्यालय में दो बार निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगी। विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 75 फीसदी से कम पाई जाएगी तो जिम्मेवार शिक्षक और प्रध्यानापक होंगे। दीदियों की रिपोर्ट पर शिक्षकों के वेतन बंद होंगे।
क्या है चुनौती
शिक्षकों की विद्यालयों में शत प्रतिशत उपस्थिति की राह में उनका गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियोजन बड़ी चुनौती है। करीब डेढ़ दशक से विद्यालय और जिलों के शिक्षा कार्यालयों के लिए तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई। क्षेत्रीय उपशिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, बीआरसी, सीआरसी समेत अन्य दफ्तरों में बड़ी संख्या में कार्य के लिए शिक्षक प्रतिनियोजित हैं। इसके अलावा जनगणना, मतगणना, पशु गणना समेत दर्जनों सरकारी कार्यों में शिक्षक लगाए जाते हैं।
शिक्षक संघों ने दिया सहयोग का भरोसा
मुख्यमंत्री के शत प्रतिशत शिक्षकों की उपस्थिति के निर्देश का शिक्षक संघों ने स्वागत किया है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मिथिलेश शर्मा ने कहा कि हम इसके पक्ष में हैं कि शिक्षक विद्यालय में बच्चों के साथ रहें। लेकिन जीविका की दीदियों द्वारा निरीक्षण शिक्षकों के लिए अपमानजनक है। वहीं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक संघ इस निर्णय का पूरा समर्थन करता है। मुख्यमंत्री को शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का फरमान भी जारी करना चाहिए।
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जीविका की दीदियां करेंगी निगरानी
बिहार विकास मिशन की बैठक में मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डा. धर्मेन्द्र सिंह गंगवार को शिक्षा में गुणात्मक एवं परिणामात्क सुधार के लिए विभाग के स्तर पर हर आवश्यक कदम उठाने को कहा। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जीविका की दीदियों को विद्यालयों में शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया है। वे हर माह हर विद्यालय में दो बार निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगी। विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 75 फीसदी से कम पाई जाएगी तो जिम्मेवार शिक्षक और प्रध्यानापक होंगे। दीदियों की रिपोर्ट पर शिक्षकों के वेतन बंद होंगे।
क्या है चुनौती
शिक्षकों की विद्यालयों में शत प्रतिशत उपस्थिति की राह में उनका गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियोजन बड़ी चुनौती है। करीब डेढ़ दशक से विद्यालय और जिलों के शिक्षा कार्यालयों के लिए तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई। क्षेत्रीय उपशिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, बीआरसी, सीआरसी समेत अन्य दफ्तरों में बड़ी संख्या में कार्य के लिए शिक्षक प्रतिनियोजित हैं। इसके अलावा जनगणना, मतगणना, पशु गणना समेत दर्जनों सरकारी कार्यों में शिक्षक लगाए जाते हैं।
शिक्षक संघों ने दिया सहयोग का भरोसा
मुख्यमंत्री के शत प्रतिशत शिक्षकों की उपस्थिति के निर्देश का शिक्षक संघों ने स्वागत किया है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मिथिलेश शर्मा ने कहा कि हम इसके पक्ष में हैं कि शिक्षक विद्यालय में बच्चों के साथ रहें। लेकिन जीविका की दीदियों द्वारा निरीक्षण शिक्षकों के लिए अपमानजनक है। वहीं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक संघ इस निर्णय का पूरा समर्थन करता है। मुख्यमंत्री को शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का फरमान भी जारी करना चाहिए।